एक दौर था जब क्रांतिकारी व राजनेता अपनी जेल यात्राओं के दौरान आन्दोलन और देश को लेकर अपने अनुभव पर डायरियाँ लिखते थे जो आज हमारे लिए धरोहर साबित हो रही हैं। और एक आज का दौर है आज़ादी मिलने के बाद का यहाँ सत्ता की कुर्सी पर बैठने वाले नेताओं और सत्ता के गलियारों में फलने-फूलने वाले दलालों की डायरियों का। इन दलालों और नेताओं की डायरियाँ आज कई भ्रष्टाचार के राज खोलती हैं और देश को शर्मसार होना पड़ता है। ये डायरियाँ बताती हैं कि हमारी शासन-व्यवस्था किस हद तक भ्रष्ट हो चुकी है। फिर एक डायरी चर्चा में आयी है और उसने ‘घोटालों’ का एक पिटारा खोला है जिसने ‘पार्टी विथ डिफरेंस’ की बात कहने वाली बीजेपी को आरोपों में घेर लिया है।

आज का दौर है यहाँ सत्ता की कुर्सी पर बैठने वाले नेताओं और सत्ता के गलियारों में फलने-फूलने वाले दलालों की डायरियों का। ये डायरियाँ आज कई भ्रष्टाचार के राज खोलती हैं।