राजस्थान में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन की परंपरा के चलते कांग्रेस को बड़ी उम्मीदें हैं। सभी ओपिनियन पोल में भी पार्टी स्पष्ट बहुमत पाती दिख रही है। जीत के प्रति अाश्वस्त दिख रही पार्टी में इसका उत्साह तो है, लेकिन मुख्यमंत्री की उम्मीदवारी पर ‘खींचतान’ से कार्यकर्ता दो खेमे में बंटते दिख रहे हैं। कभी सचिन पायलट का नाम आ रहा है तो कभी अशोक गहलोत का। एक बार सीपी जोशी का भी नाम उछाला गया था। हालांकि, पार्टी के अंदर और बाहर भी अब दो नामों की ही चर्चा चल रही है। अशोक गहलोत ने हाल ही में एक बयान दिया और इससे मामले ने तूल पकड़ लिया।
अशोक गहलोत ने कहा कि वे 10 साल राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे हैं और ऐसे में मुख्यमंत्री के चेहरे की ज़रूरत कहां है। इस बयान के बाद तो राज्य कांग्रेस प्रमुख सचिन पायलट ने भी जवाब दिया कि भ्रम में किसी को नहीं रहना चाहिए।
पायलट ने गहलोत के अनुभवों से सीख लेने की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि केवल एक नेता के दम पर पार्टी नहीं जीत सकती। इस वार-पलटवार की पार्टी में भी जबरदस्त चर्चा रही। पार्टी कार्यकर्ता दो खेमों में बंटते दिखे। हालांकि बाद में गहलोत ने इसका खंडन किया और कहा कि जिसे कांग्रेस अालाकमान चाहेंगे वही सीएम बनेगा।
आलाकमान किसे चाहता है?
पार्टी आलाकमान तो नाम नहीं बता रहा है। लेकिन ख़बर है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मुख्यमंत्री पद के लिए सचिन पायलट को तरज़ीह देते हैं। हालांकि. वरिष्ठ नेता व कार्यकर्ता चाहते हैं कि पार्टी अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश करे। लेकिन युवा नेता व कार्यकर्ता चाहते हैं कि जब चुनाव की कमान सचिन पायलट के हाथों में है तब सचिन को ही मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए। इस स्थिति को पार्टी के अालाकमान भी समझते हैं। इसीलिए वे किसी एक को चेहरा बनाकर दूसरे गुट से नाराज़गी नहीं लेना चाहते हैं। राजस्थान कांग्रेस का कहना है कि पार्टी में चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की परंपरा नहीं है।प्रभावित होगा परिणाम?
मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर दो दिग्गजों के बीच खींचतान पर पार्टी सफ़ाई देती फिर रही है। इससे साफ़ है कि उसे इसके नुकसान की अाशंका है। चुनाव विश्लेषक भी मानते हैं कि किसी पार्टी में गुटबाज़ी से मतदाताओं में ग़लत संदेश जाता है। कई मतदाता मुख्यमंत्री के चेहरे पर ही वोट देने जाते हैं। दो नेताओं के बीच खींचतान की स्थिति में कई वोटर आखिरी पल में भी पाला बदल लेते हैं। इन्हीं आशंकाओं के बीच पार्टी के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे से लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट तक पार्टी में एक होकर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं। मुख्यमंत्री की दावेदारी पर खींचतान को लेकर अविनाश पांडे ने तो कहा था कि ऐसे बयानों से नेता पार्टी को धोखा दे रहे हैं, गद्दारी कर रहे हैं। राहुल गांधी भी पार्टी में एकजुटता दिखाने के लिए जुटे हुए हैं।
राहुल ने मिलवाया था गले
पार्टी में खींचतान के बीच ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को हालात सुधारने के लिए उतरना पड़ा था। उन्होंने पिछले दिनों जयपुर में रोड शो किया और सभा में सभी कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति में उन्होंने पायलट और अशोक गहलोत को हाथ मिलाने और गले लगने को कहा। दोनों नेता गले मिले। गहलोत के जन्मदिन पर सचिन पायलट ने उन्हें बधाई दी थी और राजस्थान में इसकी ख़ूब चर्चा रही थी।ओपिनियन पोल में बीजेपी के ख़िलाफ़ जबर्द़स्त एंटी इन्कंबेंसी होने और कांग्रेस के बढ़िया प्रदर्शन की बात कही जा रही है। फ़िलहाल, कांग्रसे ने मुख्यमंत्री के दावेदार की घोषणा नहीं की है। ऐसे में यदि कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के बीच खींचतान होती भी है तो इसका चुनाव नतीज़ों पर कितना प्रभाव होगा यह तो चुनाव के बाद ही साफ़ हो पाएगा।
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