समाचार वेब पोर्टल न्यूजक्लिक पर दिल्ली पुलिस की छापेमारी के बीच एक नाम सामने आया है जो चर्चा में है। न्यूजक्लिक पर आरोप है कि उसने अमेरिकी वामपंथी अरबपति नेविल रॉय सिंघम से आर्थिक सहायता ली है। नेविल रॉय सिंघम दुनिया भर में चीनी प्रोपेगेंडा फैलाने वालों के आर्थिक मददगार के तौर पर जाने जाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि यह सिंघम कौन है ?
सिंघम के बारे में न्यूयॉर्क टाइम्स ने 5 अगस्त 2023 को एक खोजी रिपोर्ट छापी थी। इसमें दावा किया गया था कि नेविल रॉय सिंघम चीनी प्रचार टूलकिट को वित्त पोषित करने और प्रायोजित करने वाले व्यक्ति हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में नेविल रॉय सिंघम से न्यूजक्लिक के संबंध की बात छपने के बाद सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने 7 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर न्यूजक्लिक पर सवाल उठाया था।
उन्होंने आरोप लगाया था कि समाचार वेब पोर्टल, न्यूजक्लिक को भारत में चीनी प्रचार फैलाने के लिए नेविल रॉय सिंघम द्वारा वित्त पोषित किया गया था। ऐसे समाचार पोर्टल निष्पक्ष समाचार के नाम पर फर्जी खबरें फैलाते हैं। न्यूज क्लिक पर अमेरिकी नागरिक और अरबपति नेविल रॉय सिंघम से 38 करोड़ रुपए लेकर चीन के पक्ष में खबरें चलाने का आरोप है। वह एक बिजनेसमैन होने के साथ ही एक वाम विचारधारा वाले एक्टिविस्ट के तौर पर भी जाने जाते हैं।
वर्ष 1954 में अमेरिका में जन्मे सिंघम ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और मिशीगन यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई की है। उन्होंने बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर अपने करियर की शुरुआत की थी। बाद में 1993 में खुद की कंपनी थॉटवर्क्स बनाई। यह कंपनी आईटी कंसल्टिंग जैसी सेवाएं देती है। इस कंपनी को उन्होंने 2017 में बेच दिया। इससे अरबों रुपये उन्हें मिले। प्राप्त जानकारी के मुताबिक सिंघम अपना ज्यादा समय चीन के शंघाई में ही बिताते हैं। वहीं उनका एक ऑफिस भी है। जहां वह चीनी प्रोपोगेंडा विभाग की मदद से काम करते हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अब दुनिया भर में चीन के हित में और वाम विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए जमकर अपना धन खर्च करते हैं।
अरबपति नेविल रॉय सिंघम चीन के समर्थक हैं
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिकी वामपंथी अरबपति नेविल रॉय सिंघम चीन के समर्थक हैं। वे दुनिया भर में ऐसी संस्थाओं को आर्थिक सहायता देते हैं जो वाम विचारधारा को प्रचारित-प्रसारित करती हो।सिंघम चीनी सरकारी मीडिया मशीन के साथ मिलकर काम करते हैं और दुनिया भर में इसके प्रचार को वित्तपोषित कर रहे हैं। शी जिनपिंग के शासन में चीन ने अपने सरकारी मीडिया का विस्तार किया है, इसने विदेशी आउटलेट्स के साथ मिलकर काम किया है और विदेशी प्रभावशाली लोगों को तैयार किया है। ऐसे ही लोगों में से एक सिंघम हैं जो कि चीन के समर्थक माने जाते हैं।
वह मैसाचुसेट्स में एक थिंक टैंक से लेकर मैनहट्टन में एक कार्यक्रम स्थल तक में चीनी हितों को बढ़ावा देने में फंडिंग कर चुके हैं।
वह दक्षिण अफ्रीका में एक राजनीतिक दल को फंडिंग कर उसे चुनाव में जीतवाने की कोशिश कर चुके हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सिंघम ने भारत और ब्राजील में समाचार संगठनों में निवेश किया है। न्यूयॉर्क टाइम्स का दावा है कि उसने सिंघम से जुड़े उन समूहों के सैकड़ों मिलियन डॉलर को ट्रैक किया है। उनके समूह चीनी सरकार के साथ बेहतर और उदार संबंधों की वकालत करते हैं और दुनिया भर में चीन की सरकार की बेहतर छवि पेश करते हैं। इन्हीं समूहों में से एक है नो कोल्ड वॉर जैसा समूह जो हाल के वर्षों में सामने आया है। ऐसा ही एक अन्य समूह है जिसका नाम कोड पिंक है।
यह चीन द्वारा मुस्लिम उइगरों की नजरबंदी का बचाव करता है। चीन की इस हरकत को मानवाधिकार विशेषज्ञों ने मानवता के खिलाफ अपराध करार दिया है। इसके बावजूद यह संगठन चीन का बचाव करता रहता है। रिपोर्ट कहती है कि इन समूहों को कम से कम 275 मिलियन डॉलर के दान के साथ अमेरिकी गैर-लाभकारी संस्थाओं के माध्यम से आर्थिक मदद की गई है। इन सब के तार कहीं न कहीं सिंघम से जुड़ते हैं।
वह वैश्विक राजनीति को प्रभावित करना चाहते हैं
उनके सहयोगी कहते हैं कि सिंघम लंबे समय से माओवाद के प्रशंसक रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि सिंघम का नेटवर्क वाम विचारधारा के करीब दिखता है। वह और उनके सहयोगी उस लड़ाई की अग्रिम पंक्ति में हैं जिसे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारी " धुआं रहित युद्ध" कहते हैं। वे बेहद खामोशी से वाम विचारधारा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।सिंघम से जुड़े समूह अपनी विचारधारा के प्रचार- प्रसार के लिए वीडियो बनाते हैं, जिन्हें लाखों बार देखा जाता है। वे अमेरिकी कांग्रेस के सहयोगियों के साथ बैठक करते हैं, अफ्रीका में अपनी पसंद के राजनेताओं को प्रशिक्षित करते हैं, दक्षिण अफ़्रीकी चुनावों में उम्मीदवारों को खड़ा करते हैं और लंदन में हिंसा भड़काने जैसे विरोध प्रदर्शनों का आयोजन कर चुके हैं। ऐसा कर वह वैश्विक राजनीति को प्रभावित करना चाहते हैं।
सिंघम के नेटवर्क ने न्यूज़क्लिक को वित्तपोषित किया है
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि भारत सरकार के अधिकारियों ने जब सिंघम से जुड़े एक समाचार संगठन पर छापा मारा, जिस पर चीनी सरकार से संबंध रखने का आरोप लगाया गया था। नई दिल्ली में, कॉर्पोरेट फाइलिंग से पता चला है, सिंघम के नेटवर्क ने एक समाचार साइट, न्यूज़क्लिक को वित्तपोषित किया है। जिसने अपनी कवरेज को चीनी सरकार के मुद्दों से जोड़ा है।वामपंथी शिक्षाविद, आर्चीबाल्ड सिंघम के बेटे नेविल रॉय सिंघम ने शिकागो स्थित सॉफ्टवेयर कंसल्टेंसी थॉटवर्क्स की स्थापना की थी जिसके वह मालिक हैं।
2017 में, सिंघम ने पूर्व डेमोक्रेटिक राजनीतिक सलाहकार और कोड पिंक संस्था की सह-संस्थापक जोडी इवांस से शादी की थी। इवांस को भी चीन की समर्थक के तौर पर जाना जाता है। वह अक्सर चीन की पैरवी करती दिखती है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक सिंघम का कहना है कि वह चीनी सरकार के निर्देश पर काम नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि वह उन देशों में कर कानूनों का पालन करते हैं जहां वह सक्रिय हैं।
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