विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने शुक्रवार को कोवावैक्स को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। नोवावैक्स इंक की इस कोरोना वैक्सीन को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया एक लाइसेंस के तहत तैयार कर रहा है।
डब्ल्यूएचओ ने इसकी जानकारी दी। इसके बाद सीरम इंस्टीट्यूट के अदार पूनावाला ने ट्वीट कर कहा, 'यह कोरोना के ख़िलाफ़ हमारी लड़ाई में एक और मील का पत्थर है, कोवावैक्स अब डब्ल्यूएचओ से आपात इस्तेमाल के लिए मंजूर है। इसने उत्कृष्ट सुरक्षा और प्रभावकारिता दिखाई है।'
This is yet another milestone in our fight against COVID-19, Covovax is now W.H.O. approved for emergency use, showing excellent safety and efficacy. Thank you all for a great collaboration, @Novavax @WHO @GaviSeth @Gavi @gatesfoundation https://t.co/7C8RVZa3Y4
— Adar Poonawalla (@adarpoonawalla) December 17, 2021
डब्ल्यूएचओ ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि आज विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ डब्ल्यूएचओ से मान्य टीकों का विस्तार किया। इसने कहा है कि कोवावैक्स नाम का यह टीका कोवैक्स कार्यक्रम का हिस्सा है। कोवैक्स कार्यक्रम दुनिया भर के देशों का एक प्रयास है जिसके तहत कम आय वाले देशों में अधिक लोगों को टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि कोवावैक्स को मंजूरी मिलने से कोवैक्स के प्रयासों को बहुत ज़रूरी बढ़ावा मिलेगा।
25 जून को सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा था कि सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवावैक्स के पहले बैच का निर्माण शुरू कर दिया है। यह नोवावैक्स इंक द्वारा विकसित एक कोरोना वैक्सीन है।
अदार पूनावाला ने इसी साल मार्च में कहा था कि भारत में कोवावैक्स का क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो गया है और कंपनी को इस साल सितंबर तक इसे लॉन्च करने की उम्मीद है।
बता दें कि ओमिक्रॉन वैरिएंट के फैलने के बाद दुनिया भर में टीकाकरण पर एक बार फिर से जोर दिया जा रहा है। दो दिन पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन बहुत तेज़ी से फैल रहा है और इस बात की संभावना है कि यह दुनिया के अधिकतर देशों में हो सकता है। एक शोध में पता चला है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट कोरोना के मूल और डेल्टा वैरिएंट की तुलना में लगभग 70 गुना तेजी से फैलता है।
हाल के एक शोध में पता चला है कि भले ही वैक्सीन की रूटीन खुराक ओमिक्रॉन के ख़िलाफ़ पर्याप्त सुरक्षा नहीं देती हैं, लेकिन इसकी बूस्टर खुराक से सुरक्षा बढ़ जाती है।
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