पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने शुक्रवार को राज्य के दक्षिण 24 परगना जिले स्थित भंगोर का दौरा किया। हाल के दिनों में भंगोर पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने को लेकर हुई जबरदस्त हिंसा का गवाह रहा है। राज्यपाल ने हिंसा के मुख्य केंद्र रहे भंगोर में बिजॉयगंज बाजार का भी दौरा किया है। स्थानीय लोगों, जिला पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत कर स्थिति की जानकारी ली। उनके इस दौरे को राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव से जोड़कर देखा जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस ने राज्यपाल की कानून व्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर सक्रियता और बयानबाजी को आलोचना की है। कहा है कि उन्हे यहां की छिटपुट घटनाएं तो दिखती हैं लेकिन वे मणिपुर और उत्तर प्रदेश में हो रही हिंसा पर कभी नहीँ बोलते हैं।
पश्चिम बंगाल में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन गुरुवार को हुई हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। हिंसा के ज्यादातर मामले दक्षिण पूर्व कोलकाता से करीब 25 किलोमीटर दूर भंगोर से सामने आए हैं, जहां दो लोग मारे गए हैं। शुक्रवार के इस दौरे से पूर्व राज्यपाल ने गुरुवार को एक बयान में कहा था कि चुनाव में जीत मतों की गिनती पर आधारित होनी चाहिए न कि शवों की संख्या पर।
राज्यपाल के हिंसाग्रस्त इलाके में पहुंचने से करीब एक घंटे पहले पुलिस ने देशी बमों से भरे सात बैग बरामद किए हैं। हालांकि, जब राज्यपाल मौके पर पहुंचे तो राज्य या जिले के कोई भी शीर्ष पुलिस पदाधिकारी वहां नहीं थे।
पुलिस के सब इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी ने दी जानकारी
राज्यपाल को पुलिस के सब इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी ने स्थिति की जानकारी दी। बोस सबसे पहले भांगर ब्लॉक-2 के खंड विकास कार्यालय पहुंचे, यह गुरुवार को हुई हिंसक झड़पों का केंद्र था। इसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी। राज्यपाल ने स्थानीय लोगों से बातचीत कर मामले की जानकारी ली। लोगों ने उन्हें हाल के दिनों में नामांकन पत्र दाखिल करने को लेकर हुई हिंसा के बारे में बताया। पिछले कुछ दिनों से पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस राज्य में कानून व्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर मुखर रहे हैं। राज्यपाल ने 9 जून को नामांकन के दौरान हुई हिंसा की निंदा करते हुए कड़े शब्दों में एक बयान जारी किया था।
दोनों के रिश्तों में कड़वाहट आने लगी है
इसके जवाब में तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा था कि राज्यपाल की कुछ छिटपुट घटनाओं पर टिप्पणी पूरी तरह से अनुचित है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि पश्चिम बंगाल में राज्यपाल की ये सक्रियता पिछले राज्यपाल और राज्य सरकार में हुए विवाद के इतिहास को दोहरा सकती है। पिछले महीने तक दोनों के रिश्ते सामान्य थे लेकिन इस माह के आरंभ से ही दोनों के रिश्तों में कड़वाहट आने लगी है।
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