ग़ाज़ियाबाद में एक मुस्लिम व्यक्ति के हमले के बारे में ट्वीट को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट से ट्विटर इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी को मिली अंतरिम राहत के ख़िलाफ़ यूपी पुलिस सुप्रीम कोर्ट पहुँच गई है। इसने कर्नाटक हाई कोर्ट के फ़ैसले को चुनौती दी है। अदालत ने क़रीब हफ़्ते भर पहले मनीष माहेश्वरी को गिरफ़्तारी से अस्थाई सुरक्षा दी है। उत्तर प्रदेश पुलिस को उनके ख़िलाफ़ कोई कठोर क़दम नहीं उठाने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही पूछताछ के लिए उन्हें उत्तर प्रदेश जाने को ज़रूरी नहीं बताया था।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस मामले पर और विचार करने की आवश्यकता है और इसलिए इसने 29 जून यानी आज तक के लिए आदेश को सुरक्षित रखा लिया। और आज ही उत्तर प्रदेश पुलिस सुप्रीम कोर्ट में पहुँची है।
पिछले हफ़्ते ही उत्तर प्रदेश पुलिस के समन को उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। पुलिस का वह समन ग़ाज़ियाबाद में मुसलिम व्यक्ति पर हमले के ट्वीट से जुड़ा है। उन्होंने अदालत में सुनवाई के दौरान कोर्ट से कहा था कि वह ट्विटर के सिर्फ़ एक कर्मचारी हैं और उनका उस 'अपराध' से कोई लेना देना नहीं है।
उन्होंने कहा था कि कुछ आरोपियों ने वीडियो अपलोड किया लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है। उन्होंने कोर्ट से कहा कि दो दिन में दो नोटिसों में गवाह से बदलकर उनको आरोपी बना दिया गया जिसमें की आरोपी की गिरफ़्तारी भी हो सकती है।
ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी के वकील ने कर्नाटक उच्च न्यायालय को बताया कि उनका मुवक्किल बेंगलुरु में रह रहा है। वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने कहा है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए बयान दर्ज किया जा सकता है लेकिन ग़ाज़ियाबाद पुलिस उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति चाहती है।
ग़ाज़ियाबाद के लोनी में अब्दुल समद सैफ़ी नाम के बुजुर्ग शख़्स के साथ हुई मारपीट के मामले में ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने क़रीब एक पखवाड़े पहले मनीष माहेश्वरी को भी नोटिस भेजा था।
नोटिस भेजने का कारण सांप्रदायिक अशांति को भड़काना बताया गया। माहेश्वरी से कहा गया था कि वे सात दिन के अंदर लोनी बॉर्डर के थाने में आएँ और अपना बयान दर्ज कराएं। उससे कुछ दिन पहले ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने ट्विटर के ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर दर्ज की थी।
इससे पहले माहेश्वरी ने पिछले हफ़्ते सोमवार को वीडियो कॉल से पूछताछ के लिए कहा था लेकिन पुलिस उनको व्यक्तिगत तौर पर थाने में पूछताछ के लिए बुलाने पर अड़ी रही। इससे भी तीन दिन पहले ख़बर आई थी कि ट्विटर इंडिया ने ग़ाज़ियाबाद के मुसलिम बुजुर्ग की पिटाई और उन्हें अपमानित करने के मामले में 50 ट्वीट को प्रतिबंधित कर दिया है। इसके साथ ही ट्विटर इंडिया ने इस मामले से जुड़े वीडियो के एक्सेस पर रोक लगा दी है, यानी वह वीडियो ट्विटर इंडिया पर नहीं देखा जा सकता है।
इस मामले में पिछले हफ़्ते ट्विटर इंडिया के अलावा, कई पत्रकार और कांग्रेस नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई थी।
पत्रकार राणा अय्यूब, सबा नक़वी, कांग्रेस नेता सलमान निज़ामी, शमा मुहम्मद, मसकूर उसमानी के ख़िलाफ़ कथित तौर पर ग़लत ट्वीट और वीडियो को ट्वीट करने और सांप्रदायिक भावना को भड़काने का आरोप लगाया गया। इस मामले में राणा अय्यूब को बॉम्बे हाई कोर्ट ने 4 हफ़्ते की ट्रांजिट अग्रिम जमानत दे दी है। घटना में पिटाई के शिकार हुए बुजुर्ग अब्दुल समद सैफ़ी का कहना था कि उनसे कथित तौर पर 'जय श्री राम' के नारे लगवाए गए और दाढ़ी काट दी गई थी।
बुजुर्ग का यह वीडियो वायरल हुआ तो पुलिस ने जाँच शुरू की। पुलिस ने कहा था कि बुजुर्ग अब्दुल समद सैफ़ी की पिटाई के मामले में कई लोगों को गिरफ़्तार किया गया। बुजुर्ग ने कहा था कि वे कहीं जा रहे थे, इसी दौरान एक ऑटो वाले ने रास्ते में उन्हें ऑटो में बैठा लिया, उनका चेहरा रूमाल से ढककर जंगल में ले गए और एक कमरे में जमकर पीटा।
पुलिस का कहना था कि अब्दुल समद 5 मार्च को प्रवेश गुर्जर के लोनी स्थित घर पर गया था। उस दौरान प्रवेश के घर में कल्लू, पोली, आरिफ़, आदिल और मुशाहिद आ गए।
ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने दावा किया था कि अब्दुल समद ताबीज बनाने का काम करता है। मारपीट के मुख्य अभियुक्त प्रवेश गुर्जर और बाक़ी लोगों ने उनसे ताबीज बनवाया था।
पुलिस के अनुसार, लेकिन इस ताबीज से उनके परिवार पर उलटा असर हुआ और ग़ुस्से में आकर उन्होंने बुजुर्ग से मारपीट की। इनमें से प्रवेश गुर्जर, आदिल और कल्लू को गिरफ़्तार कर लिया गया है, बाक़ी की गिरफ़्तारी के लिए पुलिस दबिश दे रही है। हालाँकि टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, बुजुर्ग के बेटे ने इससे इनकार किया है कि उसका परिवार ताबीज बनाने का काम करता है। उसने पुलिस के दावों को खारिज कर दिया और कहा था कि उसका परिवार बढ़ई का काम करता है।
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