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भारत के साथ टैरिफ़ को लेकर ट्रंप के दावे पर भारत की सफ़ाई क्यों?

क्या डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को लेकर टैरिफ़ पर झूठा दावा किया? क्या ट्रंप के इस दावे में सचाई है कि 'भारत अपने टैरिफ में कटौती के लिए सहमत' है? कम से कम भारत ने ट्रंप के दावे पर जो सफ़ाई दी है उससे तो यही संकेत मिलता है। लेकिन क्या सच में ऐसा है? यदि यह सच है तो भारत सीधे-सीधे क्यों नहीं कहता कि ट्रंप का दावा ग़लत है? 

दरअसल, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक विशेष ब्रीफिंग में कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को लेकर बातचीत अभी चल ही रही है और इसे लेकर कोई टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत ने टैरिफ़ में कटौती के लिए सहमति जताई है।

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ट्रंप ने शुक्रवार को दावा किया था कि भारत ने आख़िरकार उनकी नीतियों के कारण टैरिफ़ कम करने का फ़ैसला किया है, क्योंकि उन्होंने नई दिल्ली द्वारा अमेरिकी सामानों पर लगाए गए भारी टैरिफ़ के मुद्दे को उठाय है। ट्रंप के लिए भारत के टैरिफ लंबे समय से एक विवाद का विषय रहे हैं। उन्होंने इस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फ़ोन पर हुई बातचीत और पिछले महीने व्हाइट हाउस में मोदी की यात्रा के दौरान भी उठाया था।

विदेश सचिव मिस्री ने कहा, ‘मुझे पता है कि अमेरिका से आ रहे बयानों में लोगों की काफ़ी रुचि है। लेकिन अभी मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा, क्योंकि यह एक चल रही प्रक्रिया है। मैं बस इतना कहना चाहूँगा कि हाल के समय में हमने कई साझेदारों के साथ टैरिफ़ उदारीकरण पर आधारित द्विपक्षीय व्यापार समझौते किए हैं। मौजूदा चर्चाओं को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।’

3 मार्च से 6 मार्च तक वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका में था। इस दौरान अमेरिकी वाणिज्य सचिव हावर्ड लटनिक और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा हुई। दिप्रिंट ने एक सूत्र के हवाले से रिपोर्ट दी है, ‘प्रधानमंत्री की वाशिंगटन डीसी यात्रा के दौरान टैरिफ़ और व्यापार के अन्य पहलुओं पर जो बातें सामने आईं, वे एक सतत प्रक्रिया का हिस्सा हैं। दोनों देशों के अपने हित और संवेदनशीलताएँ हैं, जो चर्चा के लिए वैध मुद्दे हैं।’
ट्रंप ने भारत पर लगातार टैरिफ़ को लेकर निशाना साधा है, खासकर अमेरिकी ऑटोमोबाइल पर लगने वाली ड्यूटी को लेकर। उनके मुताबिक़ यह कुछ मामलों में 60 प्रतिशत तक है।
दोनों नेताओं ने अगले कुछ महीनों में बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते की पहली किश्त की घोषणा करने पर सहमति जताई है। हालाँकि, यह साफ़ नहीं है कि क्या ये वार्ताएँ ट्रंप के 2 अप्रैल तक जवाबी टैरिफ़ लगाने के वादे को टाल पाएँगी।
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रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भारत ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया, यूएई, स्विट्ज़रलैंड और नॉर्वे जैसे प्रमुख विकसित देशों के लिए औसत टैरिफ़ में काफ़ी कटौती की है। यूरोपीय संघ और यूके के साथ भी इसी तरह की बातचीत चल रही है। अमेरिका के साथ मौजूदा चर्चा को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।

ट्रंप भारत के साथ व्यापार घाटे को कम करना चाहते हैं और नई दिल्ली से अमेरिकी सुरक्षा सामान खरीदने का आग्रह कर रहे हैं। 2023-2024 में भारत ने अमेरिका को क़रीब 77 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया, जबकि 42.1 अरब डॉलर का आयात किया। अमेरिकी वाणिज्य सचिव लटनिक ने भी शुक्रवार को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से हिस्सा लेते हुए कहा था कि वाशिंगटन भारत के साथ व्यापक व्यापार समझौते में रुचि रखता है, जिसमें टैरिफ़ में कमी शामिल हो। लटनिक ने भारत से अपने कृषि क्षेत्र को अमेरिकी उत्पादों के लिए खोलने का भी आह्वान किया, जो नई दिल्ली के नीति-निर्माताओं के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है। 

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भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते जटिल हैं। जहां ट्रंप टैरिफ़ और व्यापार घाटे को लेकर आक्रामक रुख़ अपनाए हुए हैं, वहीं भारत अपनी संवेदनशीलताओं, खासकर कृषि क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए सतर्कता बरत रहा है। हाल के वर्षों में भारत ने टैरिफ़ उदारीकरण की दिशा में क़दम उठाए हैं, लेकिन अमेरिका के साथ कोई भी समझौता दोनों पक्षों के हितों को संतुलित करने पर निर्भर करेगा। अभी यह कहना मुश्किल है कि क्या यह वार्ता ट्रंप के पारस्परिक टैरिफ़ के ख़तरे को टाल पाएगी, लेकिन दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावना को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। फिलहाल, यह चर्चा एक लंबी प्रक्रिया का हिस्सा है, और इसके नतीजे आने में समय लगेगा।

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)
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क़मर वहीद नक़वी
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