सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के मामले में नई तारीख़ दी तो अदालत के बाहर मौजूद साधु-संतों और महिलाओं-पुरुषों ने सर्वोच्च अदालत के ख़िलाफ़ अभद्र टिप्पणी की।
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के मामले में नई तारीख़ दी जा चुकी है और इसके साथ ही टीवी चैनल फिर से 'तारीख़ पर तारीख़' चिल्लाने लगे हैं। साथ ही वे कोर्ट के बाहर मौजूद साधु-संतों और महिलाएँ-पुरुष सुप्रीम कोर्ट के ख़िलाफ़ अभद्र टिप्पणी करने लगे। एबीपी न्यूज़ पर एक महिला ने कहा कि यह कोर्ट नहीं, 'कोठा' है। दूसरे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट किसी के दबाव में काम कर रहा है। किसी ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने जल्दी ही इस मामले का फ़ैसला नहीं किया तो लोगों को क़ानून अपने हाथ में लेना पड़ेगा। कुछ लोगों ने निराशा जताते हुए भी संयत भाषा का भी प्रयोग किया जैसे आजतक पर एक संत ने कहा कि हमें उम्मीद है कि अब 29 जनवरी को हमारे पक्ष में फ़ैसला आएगा।
टीवी चैनलों ने फ़ैलाया भ्रम
स्पष्ट है, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नई तारीख़ दिए जाने से कुछ लोग नाराज़ हैं, बहुत नाराज़ हैं। लेकिन वे नाराज़ क्यों हैं? उनको किसने बताया कि अयोध्या मामले में आज (या अगली तारीख़ यानी 29 जनवरी को) कोई फ़ैसला आनेवाला है या फ़ैसला न भी आए तो कोर्ट आज से (या नई तारीख़ से) डे-टु-डे यानी लगातार सुनवाई करने जा रहा है और उसके बाद हफ़्ते-दस दिन में फ़ैसला दे देगा? और उन्हें किसने कहा कि फ़ैसला राम मंदिर के पक्ष में ही आएगा और फ़ैसला आते ही राम मंदिर निर्माण का काम शुरू हो जाएगा?
यह सब इन टीवी चैनलों ने कहा है जो ‘राम मंदिर अब केवल 2 दिन दूर’ और ‘अयोध्या पर आज सबसे बड़ा दिन’ जैसे शीर्षक दिखा-दिखाकर लोगों में यह भ्रांत धारणा पैदा कर रहे हैं कि अयोध्या पर आज ही फ़ैसला आनेवाला है और मंदिर के पक्ष मे ही फ़ैसला आनेवाला है। जब साधु-संत या दूसरे लोग सुप्रीम कोर्ट को गालियाँ दे रहे थे तो रिपोर्टर उनको बता सकता था:
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नीरेंद्र नागर
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश