केंद्र से फंड कम मिलने के कर्नाटक सरकार के आरोप का मुद्दा अभी जोर पकड़ता ही जा रहा है कि अब तमिलनाडु में बाढ़ राहत का फंड नहीं मिलने पर विवाद हो गया है। संसद में तो इस पर पूरा हंगामा हो गया। डीएमके सांसद और सरकार के बीच तीखी बहस हुई और यहाँ तक कि कुछ शब्दों को असंसदीय होने का आरोप लगा दिया गया। तो क्या यह सब दक्षिण के राज्यों के कथित भेदभाव के आरोपों की वजह से हो रहा है? आख़िर दक्षिण के कुछ राज्य केंद्र से फंड कम मिलने की शिकायत क्यों कर रहे हैं और क्या इसका खामियाजा मोदी सरकार को अगले लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा?
इन सवालों का जवाब बाद में, पहले यह जान लें कि आख़िर मंगलवार को दिन भर क्या घटनाक्रम चले। लोकसभा में मंगलवार को तमिलनाडु के लिए केंद्र की बाढ़ सहायता पर चर्चा हुई। डीएमके सांसद ए राजा और ए गणेशमूर्ति द्वारा बाढ़ के बाद तमिलनाडु को पुनर्निर्माण में सहायता के लिए उठाए गए कदमों पर केंद्र से सवाल पूछने के बाद तीखी नोकझोंक हुई। यह नोकझोंक तब हुई जब टीआर बालू बोल रहे थे।
तमिलनाडु से केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन ने हस्तक्षेप किया और टिप्पणी की कि डीएमके सदस्य 'अप्रासंगिक' प्रश्न पूछ रहे थे। इस पर बालू नाराज़ हो गए। तीखी नोकझोंक के बीच डीएमके नेता टीआर बालू ने एक केंद्रीय मंत्री पर निशाना साधते हुए उन्हें 'सांसद या मंत्री बनने के लिए अनफिट (अयोग्य)' कह दिया। उन्होंने कहा, 'आपके पास हमारा सामना करने की कोई हिम्मत नहीं है, हम आपको सिखाएंगे।'
बीजेपी ने पलटवार करते हुए डीएमके सांसद पर दलित मंत्री का अपमान करने का आरोप लगाया और उनसे माफी की मांग की। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी खड़े हुए और सवाल किया कि बालू जैसा वरिष्ठ नेता एक मंत्री को अनफिट कैसे कह सकता है। भाजपा और डीएमके दोनों सदस्यों ने एक-दूसरे पर कटाक्ष किए और नारे लगाए। इस बीच टीआर बालू ने फिर से कहा, 'वह राजनीति में रहने के लिए अयोग्य हैं।'
डीएमके नेता ने कहा कि 'अयोग्य' कोई असंसदीय भाषा नहीं है। भाजपा के इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि उन्होंने दलितों का अपमान किया है, राजा ने कहा, 'मैं भी एक दलित हूं।'
तमिलनाडु में बाढ़ राहत के लिए कुछ नहीं हुआ: डीएमके
कर्नाटक का आरोप, दिल्ली में प्रदर्शन
इसमें भाग लेने के लिए शिवकुमार और खुद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भाजपा और जनता दल (सेक्युलर) सहित राज्य में विपक्षी दलों के नेताओं को विरोध में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। सिद्धारमैया ने लिखा है, 'हम राज्य के हितों की रक्षा के लिए 7 फरवरी को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दे रहे हैं। ...राज्य सरकार कन्नडिगाओं के लिए न्याय की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए सभी दलों को आमंत्रित कर रही है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए विरोध कर रहे हैं कि केंद्र सरकार हमारी चिंताओं को सुने।'
I invite @BJP4Karnataka MPs, MLAs and leaders to join during the protest to raise our voice for the State’s Rights.
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) February 5, 2024
We are staging protest at New Delhi's Jantar Mantar on February 7 to safeguard the interests of the state.
We are committed to honouring the trust and opportunity…
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया है, 'केंद्र सरकार ने पिछले साल के बजट में अपर भद्रा योजना के लिए 5,300 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी और उन्होंने अब तक एक भी रुपया जारी नहीं किया है। उन्होंने सूखा राहत के लिए भी कुछ जारी नहीं किया है।'
शिवकुमार ने कहा, 'सिद्धारमैया सरकार के तहत कांग्रेस सरकार ने सूखा प्रभावित किसानों के खातों में 2,000 रुपये जमा किए थे और प्रभावित क्षेत्रों में पीने के पानी की समस्याओं के समाधान के लिए कदम उठाए थे। केंद्र ने इस बारे में कुछ नहीं किया है। केंद्र ने कर्नाटक में सिंचाई परियोजनाओं के लिए 5,300 करोड़ रुपये की घोषणा की, लेकिन उन्होंने कोई धनराशि जारी नहीं की। केंद्र ने मेट्रो के बारे में भी कुछ नहीं किया है।'
उन्होंने कहा, 'इससे पिछले पांच वर्षों में राज्य को लगभग 62,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। केंद्रीय बजट का आकार जो 2018-19 में 24.5 लाख करोड़ रुपये था, वह 2023-24 में दोगुना होकर 45 लाख करोड़ रुपये हो गया है, लेकिन राज्य को इससे कोई लाभ नहीं हुआ है। हालांकि बजट का आकार दोगुना हो गया है, कर्नाटक के लिए अनुदान केवल 2018-19 में 46,000 करोड़ रुपये से थोड़ा बढ़कर 2022-23 में 50,000 रुपये ही हुआ है।'
शिवकुमार ने आरोप लगाया है, 'राज्य के भाजपा नेताओं ने गंभीर सूखे से जूझ रहे राज्य के लिए सूखा राहत निधि की मांग करने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार के साथ बैठक करने का कोई प्रयास नहीं किया है। इसके बजाय, वे राज्य सरकार की आलोचना करने में व्यस्त हैं।'
दिल्ली में कर्नाटक कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन पर बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा ने एएनआई से कहा, 'इस (केंद्र) सरकार के खिलाफ विरोध करने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने (कांग्रेस) विश्वास खो दिया है और वे अगले चुनाव में बुरी तरह हारने वाले हैं।'
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