सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), महाराष्ट्र राज्य और इमीग्रेशन ब्यूरो की दायर याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती, उनके भाई शोविक और उनके पिता (सेना से रिटायर्ड अधिकारी) खिलाफ जारी लुक-आउट-सर्कुलर (एलओसी) को बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा रद्द करने को चुनौती दी गई थी।
जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने मौखिक रूप से कहा कि याचिका "मामूली" है और केवल इसलिए दायर की गई थी क्योंकि आरोपी "हाई-प्रोफाइल" हैं।
लाइव लॉ के मुताबिक जब सीबीआई के वकील ने मामले को खत्म करने की मांग की, तो जस्टिस गवई ने कहा, "हम चेतावनी दे रहे हैं। आप ऐसी मामूली याचिका सिर्फ इसलिए दायर कर रहे हैं क्योंकि आरोपियों में से एक हाई-प्रोफाइल व्यक्ति है... इस पर लागत (कॉस्ट) लगेगी। दोनों आरोपियों की समाज में गहरी जड़ें हैं।"
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अगर आप सीबीआई को लागत देने और कुछ तारीफ चाहते हैं, तो हम इसे छोड़ देंगे। लेकिन हैरानी की बात है कि आप इस सबके लिए एलओसी जारी करना चाहते हैं।
-सुप्रीम कोर्ट, 25 अक्टूबर 2024 सोर्सः लाइव लॉ
लाइव लॉ के मुताबिक एलओसी को रद्द करते हुए, बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई ने इसे जारी करने का कोई 'कारण' नहीं बताया है। इसके अलावा, दिशानिर्देशों के तहत एलओसी की समीक्षा नहीं की गई। अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि चक्रवर्ती परिवार की जड़ें समाज में थीं और उन्होंने जांचकर्ताओं के साथ सहयोग किया। इसके अलावा, सिर्फ एफआईआर का सारांश देकर इसे जारी रखने का कोई आधार नहीं हो सकता है। सीबीआई को एलओसी जारी करने का अनुरोध करने के लिए उचित कारण बताने चाहिए थे।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था- “एलओसी को अनिश्चित काल तक, इस मामले में साढ़े तीन साल से अधिक समय तक लंबित नहीं रखा जा सकता है, हालांकि याचिकाकर्ताओं ने जांच में सहयोग किया है, जिस तथ्य पर विवाद नहीं किया गया है… यात्रा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और उचित शर्तों के अलावा इसे कम नहीं किया जा सकता है। यह कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया है।“
निर्णय पर रोक लगाने का अनुरोध नामंजूर कर दिया गया। हालाँकि, हाईकोर्ट ने साफ किया कि यदि भविष्य में अवसर आता है तो एजेंसियां याचिकाकर्ताओं के खिलाफ नई एलओसी जारी कर सकती हैं।
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