न्यूज़ चैनलों पर फैलाया जा रहा युद्धोन्माद
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री मुफ़्ती ने कहा कि ट्विटर और न्यूज़ चैनलों पर युद्धोन्माद फैलाया जा रहा है। मुफ़्ती ने कहा कि बहुत सारे लोग तो अज्ञानता में ऐसा कर रहे हैं लेकिन कुछ पढ़े-लिखे और सुविधा संपन्न लोग भी युद्ध की संभावनाओं को लेकर ख़ुश हो रहे हैं। महबूबा मुफ़्ती ने इसे जहालत क़रार दिया है।
बीजेपी के साथ चलाई थी सरकार
महबूबा मुफ़्ती पर अक़सर यह आरोप लगता है कि वह कश्मीर में अलगाववादी ताक़तों का समर्थन करती हैं। हालाँकि बीजेपी की मदद से उन्होंने जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाई थी। बाद में बीजेपी ने उनसे समर्थन वापस ले लिया था और उनकी सरकार गिर गई थी। बीजेपी भी उन पर अलगाववादी ताक़तों का साथ देने का आरोप लगा चुकी है।
महबूबा मुफ़्ती सवाल करती हैं कि दुनिया के किस कोने में शांति की बात करने और बेमतलब हिंसा का विरोध करने पर लोगों को देशद्रोही कहा जाता है?
शांति की बात करती रहूँगी
पुलवामा हमले में 40 जवान शहीद हुए थे और उसके बाद देश भर में ग़म और ग़ुस्सा फैला था। लोग पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात करने लगे थे। ऐसे में शांति और पाकिस्तान से बातचीत करने का समर्थन करने पर लोगों की देशभक्ति पर खुलेआम सवाल खड़े किए गए। महबूबा इस संदर्भ में कहती हैं कि उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि लोग उन्हें क्या कहेंगे, वह शांति की बात करती रहेंगी।
नापाक मंसूबों को न होनें दें कामयाब
महबूबा ने ट्विटर पर बिना किसी पार्टी और किसी नेता का नाम लिए हुए कहा है कि ग़म और ग़ुस्से के इस माहौल में लोगों को बाँटने की कोशिश की जाएगी। धर्म और पहचान के नाम पर एक-दूसरे को लड़ाया जाएगा। हिंदू बनाम मुसलमान, जम्मू बनाम कश्मीर होगा। हमारे दर्द के इस मंजर में ऐसे ख़तरनाक मंसूबों को कामयाब नहीं होने देना है क्योंकि कुल्हाड़ी तो भूल जाती है लेकिन पेड़ को याद रहता है।
महबूबा मुफ़्ती ने यह तो साफ़ नहीं किया कि वह किसे कुल्हाड़ी कह रही हैं और किसे पेड़। लेकिन ध्यान से पढ़ने पर यह बात बिलकुल साफ़ होती है कि उनका इशारा किस तरफ़ है।
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