समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फ़ैसला सुना दिया। पाँच जजों की बेंच ने बहुमत से कहा कि विधायिका को समलैंगिक विवाह लाने पर निर्णय लेना चाहिए। यानी संसद इस पर क़ानून बना सकती है। हालाँकि सभी पांच जज इस बात से सहमत थे कि शादी करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है और बहुमत के फ़ैसले में अदालत ने समलैंगिक विवाह के ख़िलाफ़ फैसला सुनाया है।
समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
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- 17 Oct, 2023
समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट की क्या राय है? जानिए, शीर्ष अदालत ने अपने फ़ैसले में क्या कहा है।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने विवाह की समानता को वैध बनाने से इनकार कर दिया। लेकिन इसने इस बात पर जोर दिया कि किसी व्यक्ति के संबंध में जाने के अधिकार को सेक्सुअल ओरिएंटेशन के आधार पर प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। अदालत ने साफ़ कर दिया कि समलैंगिकों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। इसके लिए इसने केंद्र और राज्यों को सख़्त निर्देश जारी किए हैं।