सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा है कि यह साफ़ है कि नीट का पेपर लीक हुआ है। इसने कहा कि यदि नीट पेपर लीक का प्रचार सोशल मीडिया पर हुआ है तो दोबारा परीक्षा का आदेश दिया जाना चाहिए। अदालत ने कहा, 'अगर हम दोषियों की पहचान करने में असमर्थ हैं, तो फिर से परीक्षा का आदेश देना होगा। अगर परीक्षा की पवित्रता भंग होती है तो फिर से परीक्षा का आदेश देना होगा।'
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार यानी 10 जुलाई को शाम 5 बजे एनटीए, केंद्र और सीबीआई के हलफनामे रिकॉर्ड पर रखने को कहा और मामले की सुनवाई 11 जुलाई के लिए टाल दी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच नीट याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। कई छात्रों और कोचिंग संस्थानों ने नीट यूजी 2024 के नतीजों के खिलाफ याचिका दायर की है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह साफ है कि नीट यूजी का प्रश्नपत्र लीक हुआ है, हम जानना चाहते हैं कि प्रश्नपत्र लीक के कितने लोगों ने लाभ उठाए हैं, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। सीजेआई ने कहा, 'यह कहते हुए कि हम परीक्षा रद्द नहीं करने जा रहे हैं, आज हम धोखाधड़ी का लाभ उठाने वालों की पहचान करने के लिए क्या करने जा रहे हैं? लाभ लेने वालों की पहचान करने के लिए सरकार ने अब तक क्या किया है?'
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'हमें खुद में खोया नहीं रहना चाहिए, और यह केवल समस्या को बढ़ा रहा है, क्योंकि हर कोई जानता है कि पेपर लीक था...'। उन्होंने कहा कि 24 लाख छात्रों के लिए एक परीक्षा रद्द करने का मामला अंतिम उपाय का मामला है। कोर्ट ने कहा कि यह निसंदेह तथ्य है कि परीक्षा की पवित्रता से समझौता किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच की स्थिति बताने वाली रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। इसके अलावा, न्यायाधीशों ने एनटीए को प्रश्नपत्र लीक होने और 5 मई को परीक्षा आयोजित होने के बीच की समयावधि से अवगत कराने का निर्देश दिया है।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने कहा कि वे पेपर लीक, ओएमआर शीट में हेराफेरी, और धोखाधड़ी जैसे आधारों पर परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष नीट यूजी 2024 को फिर से आयोजित करने की अनिच्छा जताई है। इसने कहा है कि इसे पूरी तरह से रद्द करने से लाखों ईमानदार उम्मीदवारों को गंभीर रूप से खतरा होगा जो इस साल 5 मई को परीक्षा में शामिल हुए थे।
शिक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को शीर्ष अदालत में दायर अपने हलफनामे में केवल यह स्वीकार किया है कि नीट यूजी के आयोजन के दौरान अनियमितताओं, धोखाधड़ी, कदाचार के उदाहरण मिले थे। हालांकि, पेपर लीक का कोई उल्लेख नहीं है।
हलफ़नामे में आगे कहा गया है कि 'अखिल भारतीय परीक्षा में गोपनीयता के किसी भी बड़े पैमाने पर उल्लंघन के किसी भी सबूत के अभाव में पूरी परीक्षा को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा। ...परीक्षा को पूरी तरह से रद्द करने से 2024 में प्रश्नपत्र देने वाले लाखों ईमानदार उम्मीदवार गंभीर रूप से खतरे में पड़ जाएंगे।'
नीट का यह मामला तब सामने आया था जब पहली बार बड़ी संख्या में छात्र टॉप कर गए। इसके बाद पता चला कि इस बार कुछ सेंटर पर पेपर देरी से दिए जाने के लिए ग्रेस मार्क्स दिए गए। इसी बीच बिहार पुलिस ने पेपर लीक मामले में बड़ी कार्रवाई की और कुछ आरोपियों को गिरफ़्तार किया। इस मामले का तार गुजरात से भी जुड़ा है।
बिहार सरकार की आर्थिक अपराध इकाई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसकी जांच से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि नीट-यूजी परीक्षा में पेपर लीक हुआ है। नीट पेपर लीक मामले की जाँच बिहार के बाद महाराष्ट्र, गुजरात होते हुई दिल्ली तक पहुँच गई है। इन राज्यों में कई गिरफ़्तारियाँ की गई हैं।
नीट-यूजी की काउंसलिंग स्थगित
नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट अंडरग्रेजुएट यानी नीट यूजी 2024 की काउंसलिंग को अगली सूचना तक के लिए टाल दिया गया है। काउंसलिंग 6 जुलाई से शुरू होने वाली थी और इसी दिन इसको टालने की घोषणा की गई। काउंसलिंग की नई तारीख की घोषणा अभी नहीं की गई है।
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