सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा मनमाने ढंग से विध्वंस (डिमोलिशन) के खिलाफ पहली बार दिशानिर्देश जारी किए, जिसमें फैसला सुनाया गया कि नागरिकों की आवाज को "उनकी संपत्तियों को नष्ट करने की धमकी देकर दबाया नहीं जा सकता" और इस तरह के "बुलडोजर न्याय" के लिए कानून द्वारा शासित समाज में कोई जगह नहीं है।
कानूनी और सभ्य समाज में 'बुलडोजर न्याय' की कोई जगह नहींः सुप्रीम कोर्ट गाइडलाइंस
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- 10 Nov, 2024
भारत में बुलडोजर न्याय मुसलमानों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई का हथियार देश की सत्तारूढ़ पार्टी और इसके नेताओं ने बना दिया। बुलडजोर वोटिंग मशीन में बदल गए। तमाम मामले सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे। तमाम मामलों में मात्र एफआईआर दर्ज होने के बाद ही भाजपा शासित सरकारों ने बुलडोजर से घर, दुकानें, धार्मिक स्थल आदि गिरा दिये। सुप्रीम कोर्ट ने अब स्पष्ट कर दिया है कि उसे यह रवैया जरा भी पसंद नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस पर दिशानिर्देश जारी किए हैं। उन्हें जानना जरूरी हैः
