जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द बहाल होगा और अगले साल के आख़िर तक चुनाव भी होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यह फ़ैसला दिया है। शीर्ष अदालत ने भारतीय चुनाव आयोग को अगले साल 30 सितंबर तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फ़ैसले के दौरान आया। इसने कहा है कि 2019 में अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने का फ़ैसला संवैधानिक था। इसने यह भी कहा कि यह अस्थायी प्रावधान है और राष्ट्रपति इसे रद्द कर सकते हैं। इसके साथ ही इसने कहा कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल करने के लिए क़दम उठाए जाने चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने अगस्त 2019 में लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फ़ैसले की वैधता को भी बरकरार रखा।
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और राज्य को दो हिस्सों में बाँट दिया। दोनों हिस्सों को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया।
राज्यसभा में प्रस्ताव पेश करने से पहले ही श्रीनगर में धारा 144 लागू कर दी गई थी। कश्मीर में केंद्र सरकार ने 35,000 से ज़्यादा जवानों की तैनाती की थी।
केंद्र में दुबारा मोदी सरकार आने के बाद से ही यह माना जा रहा था कि सरकार अनुच्छेद 370 पर आर या पार करेगी। गृह मंत्री अमित शाह संसद में कह चुके थे कि अनुच्छेद 370 अस्थायी है। बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने की माँग लंबे अरसे से उठाते रहे थे। बीजेपी ने कई बार कहा था कि अनुच्छेद 35ए के ज़रिए संविधान ही नहीं, संसद को भी छला गया और इसे गुपचुप तरीक़े से लाया गया था। अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने का जिक्र बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र 2019 में भी प्रमुखता से किया था।
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