पूरा उत्तर भारत इस समय राम भक्ति में डूब गया है। वाहन की लंबी-लंबी कतारें अयोध्या की ओर जाती दिखाई दे रही हैं। लेकिन इस समय राम मूर्ति चर्चा में है। रामलला की नई मूर्ति शुक्रवार को अयोध्या में राम मंदिर के गृभगृह में स्थापित कर दी गई। अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की 51 इंच लंबी मूर्ति है। लेकिन इंतजार और चर्चा उस मूर्ति की है, जिसे गुड़गांव के पास मानेसर की फैक्ट्री में तैयार किया जा रहा है। राम की 823 फुट ऊंची प्रतिमा, सरयू नदी के तट की शोभा बढ़ाने के लिए बनाई जा रही है। इसके स्थापित होने के बाद यह दुनिया की सबसे बड़ी राम मूर्ति हो जाएगी। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इस मूर्ति को तैयार करवा रहे हैं और वो रोजाना इसकी प्रगति के बारे में सूचना लेते हैं।
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अयोध्या में लगने वाली राम की इस विशालकाय मूर्ति पर करीब 3000 करोड़ का खर्च आने वाला है।
हरियाणा के प्रसिद्ध मूर्तिकार नरेंद्र कुमावत की देखरेख में यह विशालकाय मूर्ति आकार ले रही है। इस मूर्ति का वजन 13,000 टन होगा। इसमें आ रहे खर्च का जिक्र ऊपर किया जा चुका है। इस मूर्ति के लगने के बाद विश्व पर्यटन में भी अयोध्या का नाम इस मूर्ति के लिए दर्ज हो जाएगा।
असली मूर्ति-मौजूदा मूर्तिः राम मंदिर के गर्भगृह में शुक्रवार को रामलला की जो मूर्ति स्थापित की गई, उसको लेकर विवाद भी जारी है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पूछ चुके हैं कि आख़िर नव निर्मित राम मंदिर के गर्भगृह में नयी मूर्ति क्यों लगाई जा रही है? आख़िर रामलला विराजमान कहाँ गए जो खुद प्रकट हुए थे। शंकराचार्य ने इस बारे में मंदिर ट्रस्ट से सवाल किया था लेकिन मंदिर ट्रस्ट ने इसका कोई जवाब नहीं दिया।
दक्षिण में आंबेडकर की बहार
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने शुक्रवार को विजयवाड़ा के स्वराज मैदान में डॉ. बीआर अंबेडकर की 125 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया।पिछले साल अप्रैल में, तत्कालीन भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार ने हैदराबाद में इसी तरह की 125 फुट ऊंची प्रतिमा का उद्घाटन किया था। जगनमोहन रेड्डी सरकार ने इसे देश में अंबेडकर की सबसे ऊंची प्रतिमा होने का दावा किया है। तेलंगाना कभी आंध्र का हिस्सा था, अब दोनों के पास आंबेडकर की अपनी-अपनी विशाल मूर्तियां हैं। इसी तरह तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र भी आंबेडकर की विशाल मूर्तियों से अछूते नहीं हैं।
चुनाव और मूर्तियांः देश में आम चुनाव यानी लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई 2024 में होने जा रहे हैं। सभी राजनीतिक दल पहले से ही चुनावी मोड में है। हालांकि इसमें भाजपा हर लिहाज से भारी पड़ रही है। अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह भी राजनीति से बच नहीं पाया। मंदिर का एक ही हिस्सा पूरा हुआ है। रामनवमी नजदीक है, इसके बावजूद 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है। देश के विपक्षी दलों ने इसे भाजपा-आरएसएस का राजनीतिक कार्यक्रम बताते हुए इसमें न जाने की घोषणा कर दी है। रही सही कसर बाबा साहब आंबेडकर के पड़पोते प्रकाश आंबेडकर ने भी मना करके पूरी कर दी है। प्रकाश आंबेडकर को बाकायदा न्यौता भेजा गया है। लेकिन उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस बाबा साहब का नाम अपने हितों के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। जबकि बाबा साहब की नीतियां भाजपा और संघ से मेल नहीं खातीं, इसलिए मैं इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकता।
बाबा साहब के नाम पर भी राजनीतिः आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जहां मूर्तियों के मामले में होड़ कर रहे हैं। वहीं बाबा साहब के नाम पर जगनमोहन रेड्डी कम राजनीति नहीं कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव के आसपास ही आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। तो इस राजनीति को समझा जा सकता है। राज्य में एससी समुदाय आंध्र प्रदेश की आबादी का 19% है। विजयवाड़ा में लगी बाबा साहब की मूर्ति को सरकार ने 'सामाजिक न्याय की प्रतिमा' नाम दिया गया है। मई 2019 के चुनावों में, वाईएसआरसीपी को 151 विधानसभा सीटें जीतकर सत्ता में आने में दलित समर्थन महत्वपूर्ण रहा था।
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