तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व में दक्षिण भारत के राज्य लोकसभा सीटों के प्रस्तावित परिसीमन के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठा रहे हैं। स्टालिन ने इसे दक्षिणी राज्यों के हितों पर हमला बताते हुए कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर संयुक्त कार्रवाई की अपील की है। इस मुद्दे पर आंध्र प्रदेश की विपक्षी पार्टी वाईएसआरसीपी भी मुखर है और उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर परिसीमन के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू इस मामले में केंद्र सरकार के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं। यह विरोधाभास दक्षिण भारत की राजनीति में नई बहस को जन्म दे रहा है। आखिर चंद्रबाबू का यह रुख क्या संकेत देता है और इसका राजनीतिक असर क्या हो सकता है?