प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को संसद में संबोधन के जरिये जानकारी दी कि महाकुम्भ में हम सब ने राष्ट्रीय चेतना के विराट रूप के दर्शन किया. इसके एक वाक्य पहले वह यह बताना नहीं भूले कि भागीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर उतारा था. उनका वाक्य “बूझो तो जाने” की परिचित शैली में था जैसे पूछ रहे हों “भाइयों-बहनों, महाकुंभ को भी इस “विराट” रूप में किसने उतारा? पीएम ने हमें यह भी बताया कि महाकुम्भ से राष्ट्रीय एकता बढ़ी है. पता नहीं चला कि मुसलमान का सहमना ख़तम हो गया या हिन्दू ने उनसे जबरिया भारत माता की जय न कहने पर गले लगाना शुरू कर दिया. शायद राष्ट्रीय एकता से मोदी की मुराद हिन्दू एकता की थी क्योंकि हिंदुत्व/सनातनत्व और राष्ट्रीय एकता संघ की परिभाषा के अनुसार समवर्ती (को-टर्मिनस) होते हैं.