कांग्रेस पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने नरेंद्र मोदी पर ज़ोरदार हमला करते हुए कहा है कि सरकार नागरिकता संशोधन क़ानून, एनआरसी और एनपीआर पर पूरे देश को गुमराह कर रही है।
नागरिकता क़ानून पर कई विपक्षी दलों की बैठक के बाद सोनिया गाँधी ने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार पूरी तरह बेनकाब हो चुकी है। वह न तो लोगों की भावनाओं को समझ रही है, न ही लोगों से इस पर बात कर रही है।
सोनिया गाँधी ने कहा कि देश में जो स्थिति अभी बनी है, वह पहले कभी नहीं रही। सरकार लोगों का उत्पीड़न कर रही है, नफ़रत फैला रही है और लोगों को समुदाय के आधार पर बाँट रही है। उन्होंने कहा :
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सहमे हुए लोगों ने देखा कि किस तरह बीजेपी-प्रायोजित हमला जेनएयू पर हुआ। इसके ठीक पहले इसी तरह की वारदात जामिया मिलिया इसलामिया, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय में हुईं।
सोनिया गाँधी, कार्यकारी अध्यक्ष, कांग्रेस
उन्होंने विपक्षी दलों से अपील की कि वे इस मौके पर एकजुट हो जाएं और सरकार की कोशिशों को नाकाम करें। सोनिया ने कहा कि मोदी-शाह की सरकार देश का शासन चलाने और लोगों को सुरक्षा देने में पूरी तरह नाकाम हो चुकी है।
सोनिया ने कहा, ‘देश के कोने-कोने में समाज के सभी वर्गों के लोग सड़कों पर उतर कर आन्दोलन कर रहे हैं। इसकी तात्कालिक वजह नागरिकता क़ानून और एनआरसी है। पर वह उनके गुस्से और कुंठा का इज़हार है।’
कांग्रेस की नेता ने कहा : प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने लोगों को गुमराह किया है। कुछ हफ़्ते पहले ही उन्होंने जो बातें कहीं, वे एक दूसरे के उलट थीं। वे लोगों की भावनाओं के प्रति संवेदनहीन बने रहे और भड़काऊ बयान देते रहे।
बैठक का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें बहुजन समाज पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के नेता नहीं आए। टीएमसी की ममता बनर्जी ने दो दिन पहले ही कह दिया था कि वह इस बैठक में शिरकत नहीं करेंगी क्योंकि कांग्रेस पार्टी ओछी राजनीति कर रही है।
लेकिन ज़्यादातर विपक्षी दलों के लोग इसमें मौजूद थे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, सीपीआईएम के सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी. राजा, झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा मौजूद थे। इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी, एलजेडी के शरद यादव ने भी बैठक में भाग लिया।
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