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वास्तविक देशद्रोही कौन? जानें सोनिया गांधी ने किसे बताया

सोनिया गांधी ने भारतीय संविधान के निर्माता 'बाबासाहेब' के आदर्शों का ज़िक्र करते हुए बीजेपी पर तीखा हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि जो सत्ता में हैं वे संविधान के संस्थानों का दुरुपयोग कर रहे हैं और उन्हें नष्ट कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से इस 'सुनियोजित हमले' से संविधान की रक्षा के लिए काम करने का आग्रह किया। डॉ. भीमराव आंबेडकर के हवाले से ही देशद्रोह की परिभाषा भी बताई और ये भी आरोप लगाया कि देश में अब यह काम कौन कर रहा है। 

सोनिया गांधी ने कहा कि वास्तविक 'देशद्रोही' वे हैं जो भारतीयों को बाँटने के लिए अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं। डॉ. आंबेडकर की 132वीं जयंती पर द टेलीग्राफ में एक लेख में सोनिया गांधी ने कहा है कि जो लोग भाषा, जाति और लिंग के आधार पर बाँट रहे हैं वे देश के ख़िलाफ़ काम कर रहे हैं।

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लेख में सोनिया ने लिखा है, "आज असली 'देशद्रोही' वे हैं जो धर्म, भाषा, जाति और लिंग के आधार पर भारतीयों को एक-दूसरे के खिलाफ बांटने के लिए अपनी सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं। शुक्र है, शासन के प्रयासों के बावजूद, भारतीयों में भाईचारे की भावना गहरी है। धार्मिक विभाजन के खिलाफ विरोध करने वाले, किसानों की आजीविका के लिए आवाज उठाने वाले, और कोविड-19 महामारी के दौरान अपनी सर्वोत्तम क्षमताओं में मदद करने वाले करोड़ों भारतीयों का उदाहरण इस बात को निसंदेह साबित करता है। हमें हमेशा भाईचारे की इस भावना को बढ़ावा देना चाहिए और इसे अपने घरों, समुदायों और संगठनों में होने वाले हमलों से बचाना चाहिए।'
'द टेलीग्राफ़' में सोनिया ने कहा है कि जैसा कि हम आज बाबासाहेब की विरासत का सम्मान करते हैं, हमें उनकी दूरदर्शी चेतावनी को याद रखना चाहिए कि संविधान की सफलता उन लोगों के आचरण पर निर्भर करती है जिन्हें शासन करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है।'
पूर्व कांग्रेस अध्यक्षा ने आरोप लगाया कि आज, सत्ता में बैठे लोग संविधान के संस्थानों का दुरुपयोग कर रहे हैं, उसे नष्ट कर रहे हैं और स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व व न्याय की नींव को कमजोर कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि लोगों के अधिकारों की रक्षा के बजाय उनको परेशान करने के लिए क़ानून का दुरुपयोग करके स्वतंत्रता को 'खतरे' में डाला जाता है। सोनिया ने कहा कि हर क्षेत्र में पसंदीदा दोस्तों के पक्ष में फ़ैसले कर समानता पर हमला किया जाता है, यहाँ तक ​​कि अधिकांश भारतीय आर्थिक रूप से पीड़ित हैं।
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द टेलीग्राफ़ के लेख के अनुसार सोनिया ने कहा है, 'जानबूझकर नफ़रत का माहौल बनाने और भारतीयों को एक-दूसरे के ख़िलाफ़ ध्रुवीकरण करने से भाईचारे का नुक़सान होता है। निरंतर अभियान के माध्यम से न्यायपालिका पर दबाव डालकर अन्याय को बढ़ाया जाता है।' 

उन्होंने कहा कि देश के इतिहास के इस मोड़ पर लोगों को इस सुनियोजित हमले से संविधान की रक्षा के लिए काम करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, आंबेडकर, सरदार पटेल और कई अन्य लोगों के बीच तीखी असहमति से भरा है। उन्होंने कहा कि "लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आखिरकार, हमारी स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले सभी प्रतिष्ठित पुरुषों और महिलाओं ने हमारी आजादी के लिए और हमारे राष्ट्र को आकार देने के लिए मिलकर काम किया। और वे इस तथ्य से अच्छी तरह वाकिफ थे।" 

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कांग्रेस नेता ने जोर देकर कहा कि संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ. आंबेडकर का आचरण इस सिद्धांत का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि दूसरा सबक जो सिखना चाहिए वह बंधुत्व की भावना को प्रोत्साहित करना है, जो राष्ट्र की आधारशिला है।

उन्होंने कहा कि बाबासाहेब एक व्यक्ति के रूप में भारतीयों के भाईचारे को बढ़ावा देने के महत्व में गहराई से विश्वास करते थे। वह बिना भाईचारे के, समानता और स्वतंत्रता की कल्पना नहीं करते थे। सोनिया ने कहा कि उन्होंने अपने अंतिम भाषण में चर्चा की कि कैसे जाति व्यवस्था बंधुत्व की जड़ों पर प्रहार करती है - और इसे "राष्ट्र-विरोधी" कहा।

उन्होंने कहा, 'आज सत्ता में बैठे लोग इस मुहावरे का दुरुपयोग करते हैं, लेकिन डॉ. आंबेडकर ने इसका सही अर्थ समझाया- जाति व्यवस्था 'राष्ट्र-विरोधी' है क्योंकि यह अलगाव पैदा करती है, ईर्ष्या, विद्वेष पैदा करती है। क्योंकि यह भारतीयों को एक-दूसरे के खिलाफ बाँटती है।'

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क़मर वहीद नक़वी
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