क्या मोदी सरकार की एनईपी देश की सरकारी शिक्षा प्रणाली को ख़त्म कर रही है? कम से कम सोनिया गांधी ने तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति यानी एनईपी 2020 को लेकर ऐसी ही तीखी आलोचना की है। उन्होंने केंद्र की बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस नीति का इस्तेमाल शिक्षा क्षेत्र में 'सत्ता के केंद्रीकरण, व्यावसायीकरण और सांप्रदायीकरण' के लिए कर रही है। द हिंदू अख़बार में प्रकाशित अपने लेख में उन्होंने दावा किया कि यह नीति सरकार की भारत के युवाओं और बच्चों की शिक्षा के प्रति 'गहरी उदासीनता' को छुपाती है।
एनईपी 'सरकारी शिक्षा प्रणाली के नरसंहार' का प्रतीक: सोनिया
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- 31 Apr, 2025
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने NEP 2020 पर गंभीर सवाल उठाए, इसे केंद्रीकरण, व्यवसायीकरण और सांप्रदायीकरण का एजेंडा बताया। जानें उनकी पूरी आलोचना और इसके निहितार्थ।

सोनिया गांधी ने लिखा कि पिछले 11 वर्षों से केंद्र सरकार का 'अनियंत्रित केंद्रीकरण' उसकी कार्यशैली का पहचान बन गया है, और इसका सबसे नुक़सानदायक असर शिक्षा क्षेत्र में देखने को मिला है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकारों को महत्वपूर्ण निर्णय लेने की प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। केंद्र और राज्यों के मंत्री वाले केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड सितंबर 2019 के बाद से आयोजित नहीं किया गया। इसके अलावा, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की 2025 की नई मसौदा गाइडलाइंस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकारों की विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्त करने की भूमिका को कम करती है। उनके मुताबिक, राज्यपालों के जरिए केंद्र ने कुलपति चयन में 'लगभग एकाधिकार' हासिल कर लिया है, जो संघवाद के लिए 'गंभीर ख़तरा' है।