विश्व के किसी भी असमानता वाले समाज में एक ऐसा समूह बन जाता है, जो एक गिरोह बनाकर हर सुख-सुविधाओं पर कब्जा कर लेता है। भारत में कुछ जाति विशेष के लोगों का मलाई पर आरक्षण रहा है, वहीं, बहुसंख्य आबादी के लिए जातीय आधार पर निम्न कहे जाने वाले और कम कमाई वाले कामों को आरक्षित कर दिया गया, जिसमें श्रम ज़्यादा लगता है और पैसे व सम्मान कम मिलता है।
स्वायत्तता के नाम पर बेइमानियों के अड्डे बन गए विश्वविद्यालय
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- प्रीति सिंह
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- 29 Jan, 2019

प्रीति सिंह
एससी, एसटी के लिए 22.5 प्रतिशत आरक्षण होने के बाद भी इस वर्ग के लोगों को फ़ायदा नहीं मिला। ऐसा इसलिए क्योंकि विश्वविद्यालयों की परिषदों ने आरक्षण को मंजूरी नहीं दी थी।
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