सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) अधिनियम, 2018 के लिए महाराष्ट्र राज्य आरक्षण को रद्द कर दिया है, जो सार्वजनिक शिक्षा और रोज़गार में मराठा समुदाय को आरक्षण देता है। जयश्री लक्ष्मणराव पाटिल बनाम मुख्यमंत्री मामले में कोर्ट ने कहा कि इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ के 1992 के फ़ैसले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित आरक्षण पर 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण देने के लिए कोई असाधारण परिस्थिति नहीं बनी हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) अधिनियम, 2018 के लिए महाराष्ट्र राज्य आरक्षण को रद्द कर दिया है, जो सार्वजनिक शिक्षा और रोज़गार में मराठा समुदाय को आरक्षण देता है।
न्यायालय ने कहा, ‘2018 अधिनियम 2019 में संशोधन के अनुसार मराठा समुदाय के लिए आरक्षण देने से 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को पार करने के लिए कोई असाधारण स्थिति नहीं है।’ अदालत ने कहा कि 2018 का अधिनियम समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है और 50 प्रतिशत से अधिक की सीमा स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करती है। कोर्ट ने यह भी फ़ैसला सुनाया कि इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ में फ़ैसले को बड़ी बेंच को नहीं भेजा जाना चाहिए। क्योंकि इंदिरा साहनी मामले में निर्धारित आरक्षण पर 50 प्रतिशत सीलिंग एक अच्छा क़ानून है।