बंबई हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा है कि कोई व्यक्ति रेमडेसिविर दवा कैसे हासिल कर सकता है जब इसे बनाने वाली कंपनी पूरा उत्पाद केंद्र सरकार को देने के लिए बाध्य है। इसके बाद केंद्र सरकार वह दवा राज्य सरकारों को देती है। तो फिर किसी व्यक्ति विशेष के पास यह दवा कैसे और कहाँ से आई?
जस्टिस दीपंकर दत्त और जस्टिस गिरीश एस. कुलकर्णी की बेंच ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह सवाल किया। मंबई की वकील स्नेहा मरजादी ने यह याचिका बंबई हाई कोर्ट में दायर की है।
यह याचिका महत्वपूर्ण इसलिए है कि बीजेपी सांसद सुजय विखे पाटिल ने तीन दिन पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया था। वीडियो में उन्होंने कहा था कि अपने संसदीय क्षेत्र की जनता के लिए वे चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली गए और अपने रसूखों का इस्तेमाल कर उन्होंने रेमडेसिविर के 10 हजार इंजेक्शन हांसिल किये। रेमडेसिविर के 10 हजार इंजेक्शन ऐसे वक़्त में हांसिल करने की बात सबको चौंकाने वाली थी, क्योंकि वर्तमान में देश के तकरीबन हर शहर में इसकी कमी देखने को मिल रही है।
हड़कंप
अस्पताल ही नहीं राज्य सरकारें भी इस इंजेक्शन को हांसिल करने के लिए केंद्र सरकार के आगे गुहार लगा रही हैं। हर प्रदेश की सरकार अपने राज्य के लिए इस इंजेक्शन के कोटे को बढ़ाने के लिए प्रयासरत है।
कुछ दिन पहले ही जब दमन की एक कंपनी ब्रुक फार्मा के रेमडिसिविर के साठ हजार इंजेक्शन को जब्त करने की कार्रवाई मुंबई पुलिस और एफडीए द्वारा की गयी थी तो प्रदेश में राजनीतिक हड़कंप मच गया था।
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अपने सहयोगी प्रवीण दरेकर के साथ रात में ही पुलिस स्टेशन पहुँच गए थे और पुलिस कर्मियों और अधिकारियों से वाद विवाद कर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने की आरोपी कंपनी का बचाव करने लगे थे।
मामला इतना बढ़ा कि गृहमंत्री ने जांच के आदेश दिए तथा चेतावनी भी दी कि पुलिस अधिकारियों को धमकाने की घटना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। फडणवीस के उस कार्य की देश भर में अनेक नेताओं ने आलोचना की ,साथ ही सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोलिंग भी हुई थी।
पाटिल ने क्या कह दिया!
लेकिन जब सुजय विखे पाटिल ने सोशल मीडिया पर वीडियो डाला तो सबको चौंका दिया। उन्होंने कहा कि ये इंजेक्शन वे संसदीय क्षेत्र के कोरोना पीड़ित मरीजों को वितरित करेंगे, क्योंकि वर्तमान में यह इंजेक्शन कालाबाजार में मन माँगे दामों पर बेचे जा रहे हैं।
वीडियो में उन्होंने कहा था कि क्षेत्र की जनता की हालत उन्हें देखी नहीं जा रही थी। इसलिए गुप्त तरीके से वे दिल्ली गए और इंजेक्शन की बड़ी खेप लेकर लौटे।
विखे पाटिल ने कहा कि उनके परिवार द्वारा संचालित प्रवरा एजुकेशन संस्थान की वजह से उनके बड़े- बड़े लोगों से संबंध हैं और इसका फ़ायदा उठाते हुए उन्होंने एक कंपनी से ये इंजेक्शन हांसिल किये।
पहले भी ऐसा कर चुके हैं पाटिल
यह पहली बार नहीं है जब सुजय विखे पाटिल ने रेमडेसिविर के इंजेक्शन लाये हों। पिछले सप्ताह भी वे 300 इंजेक्शन दिल्ली से लेकर आये थे। उस समय उनके पिता पूर्व मंत्री व विधायक राधाकृष्ण विखे पाटिल ने वे इंजेक्शन साई बाबा चिकित्सालय, प्रवरा चिकत्सालय को दे दिए थे।
उस समय भी सुजय विखे पाटिल का बयान आया था कि वे अधिक मात्रा में इंजेक्शन लाना चाहते थे लेकिन सफल नहीं हो पाए, लेकिन शीघ्र ही वे लाने का प्रयास करेंगे।
सुजय विखे पाटिल ने मीडिया अपने बयान या सोशल मीडिया पर पोस्ट वीडियो में इस बात का जिक्र नहीं किया कि उन्होंने किस कंपनी या व्यक्ति या एजेंसी से उक्त इंजेक्शन हांसिल किये हैं। लेकिन इस मामले में सांसद के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ में एक याचिका दायर की गयी है।
नगर जिले के सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कडु चंद्रभान घोगरे, बालासाहब विखे व दादासाहब पवार ने यह फौजदारी याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि सुजय विखे पाटिल ने रेमडेसिविर इंजेक्शन कहां से लाये, कहाँ बांटे ? उनका यह कार्य गैर कानूनी लगता है, इसलिए उनके पास यदि उक्त इंजेक्शन का स्टॉक है तो उसे जब्त किया जाय और कार्रवाई हो।
इस याचिका की सुनवाई 29 अप्रैल को होनी है। लेकिन अदालत ने कहा कि जब तक सुनवाई नहीं हो सम्बंधित विभाग अपने नियमित तौर तरीकों से इस मामले में कार्रवाई कर सकते हैं।
क्या है याचिका में?
याचिका कर्ताओं ने कहा कि सुजय विखे पाटिल के पास इन इंजेक्शन को खरीदने के लिए किसी प्रकार का कोई लाइसेंस भी नहीं था और ना ही उन्होंने यह जानकारी दी है कि किस व्यक्ति या कंपनी से यह खरीददारी की गयी है। क्या ये इंजेक्शन सांसद ने सरकारी चिकित्सालय में बांटे हैं या किसी और को इस बात का कुछ हिसाब है क्या?
याचिका में मांग की गयी है कि बिना किसी लाइसेंस व अधिकार के ये इंजेक्शन खरीदे गए हैं, इसलिए इस संबंध में मामला दर्ज किया जाय तथा इंजेक्शन का स्टॉक जब्त किया जाय। इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश आर. वी. घुगे व बी. यू. देबडवार कर रहे हैं।
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