loader

सुप्रीम कोर्ट के जज ने सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई से किया अलग 

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजय कुमार ने गुरुवार को आबकारी नीति मामलों में आप नेता मनीष सिसोदिया की याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। इन याचिकाओं में आबकारी नीति घोटाला मामलों में उनकी जमानत याचिकाओं पर फिर से विचार करने की मांग की गई थी। आबकारी नीति से जुड़े मामलों में सीबीआई और ईडी कार्रवाई कर रही है और इसलिए इन दोनों को लेकर दो याचिकाएँ दायर की गई हैं।

पिछले महीने शीर्ष अदालत ने कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले के संबंध में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। सिसोदिया ने इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के 21 मई के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। 

ताज़ा ख़बरें

आप नेता ने हाईकोर्ट में ट्रायल कोर्ट के 30 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी थी। इसमें दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामलों में उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था।

बहरहाल, अपनी जमानत याचिकाओं पर फिर से सुनवाई के लिए सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, संजय करोल और संजय कुमार की पीठ ने कहा कि एक अन्य पीठ, जिसके सदस्य न्यायमूर्ति संजय कुमार नहीं हैं, आबकारी नीति घोटाला मामले में ईडी और सीबीआई द्वारा दायर मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर फिर से विचार करने की दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। 

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार मामले की सुनवाई शुरू होते ही न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, 'हमारे भाई को कुछ परेशानी है। वह व्यक्तिगत कारणों से इस मामले की सुनवाई नहीं करना चाहेंगे।' सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने पीठ से मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया और कहा कि वक़्त बेहद महत्वपूर्ण है।
सिंघवी ने कहा कि दोनों मामलों में अभी तक सुनवाई शुरू नहीं हुई है। पीठ ने कहा कि 15 जुलाई को एक अन्य पीठ इस पर सुनवाई करेगी।
बता दें कि पिछले साल 30 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। 
देश से और ख़बरें

इससे पहले पाँच अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि सिसोदिया इस मामले में शामिल नहीं दिख रहे हैं और पूछा था कि उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कैसे आरोपी बनाया गया। तब शीर्ष अदालत ने कहा था, 'ऐसा लगता है कि मनीष सिसोदिया इस मामले में शामिल नहीं हैं। विजय नायर हैं, लेकिन मनीष सिसोदिया नहीं। आपने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कैसे लाया? पैसा उनके पास नहीं जा रहा है।'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'आपको एक श्रृंखला स्थापित करनी होगी। पैसे को शराब लॉबी से व्यक्ति तक पहुंचना होगा। हम आपसे सहमत हैं कि श्रृंखला स्थापित करना कठिन है क्योंकि सब कुछ गुप्त रूप से किया जाता है। लेकिन यहीं पर आपकी काबिलिय दिखती है।' पीठ ने पाँच अक्टूबर को कहा था, 'सबूत कहां है? दिनेश अरोड़ा (व्यवसायी) खुद प्राप्तकर्ता है। सबूत कहां है? क्या दिनेश अरोड़ा के बयान के अलावा कोई और सबूत है? श्रृंखला पूरी तरह से स्थापित नहीं है।'

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें