आशुतोष - संजय राउत जी आप इतना विवादों में क्यों रहते हैं?
भूले नहीं हैं, अपमान भूलेंगे भी नहीं, जवाब देंगे: राउत
- महाराष्ट्र
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- आशुतोष
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- 11 Oct, 2020

सुशांत सिंह राजपूत और बाद में कंगना रनौत के मामले में मीडिया ने शिवसेना और उनकी सरकार को जमकर घेरा। ख़ासतौर पर रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी ने उद्धव ठाकरे को लेकर जिस भाषा का इस्तेमाल किया वो किसी भी नेता के लिए असहनीय हो सकता है। उसके बाद कंगना ने ठाकरे को लेकर तू-तड़ाक किया। अब रिपब्लिक टीवी का नाम टीआरपी घोटाले में आने के बाद यह कहा जा रहा है कि शिवसेना हिसाब चुकता कर रही है। क्या वाक़ई में? आशुतोष ने संजय राउत से बात की।
संजय राउत - विवादों में नहीं रहता हूँ। बाला साहेब के साथ तीस सालों से काम किया है, बहुत नज़दीक से। तो थोड़ा विवादों से रिश्ता तो रहेगा। लेकिन विवाद जानबूझकर तो नहीं खड़ा करता। जैसे आपने कहा अभी सच बताना बहुत मुश्किल है, तो जब मैं सच बताता हूँ, मेरी पार्टी की तरफ़ से या ठाकरे परिवार की तरफ़ से तो लोगों को सुनना बहुत मुश्किल होता है। सच जो होता है न तो उसको नकार नहीं सकते हैं न।
आशुतोष - शिवसेना में तो और भी बड़े नेता हैं। विवाद आपके ही पीछे क्यों पड़ा रहता है?
संजय- सत्य है, मेरे और भी साथी हैं। लेकिन मैं सामना का संपादक भी हूँ। सामना जिसे आप मुखपत्र कहते हैं, मैं उसे न्यूज़पेपर कहता हूँ, उद्धव ठाकरे हों, मैं हूँ, हम सब मिलकर सामना चलाते हैं। और सामना एक पापुलर अख़बार भी है। सामना में जो कुछ भी लिखता हूँ तो लोग उसे पार्टी की भूमिका मानते हैं। तो लोग उसकी वजह से विवाद करते हैं। मैं, मेरी भूमिका, मेरी पार्टी की भूमिका, मेरी स्टाइल है जिसे यहाँ ठाकरी भाषा बोलते हैं। उस स्टाइल से मैं बोलता हूँ, लिखता हूँ तो लोगों को तकलीफ़ होने की ज़रूरत नहीं है। मेरी किसी से राजनीति में कोई दुश्मनी नहीं है। न मोदी साहब से, न अमित साहब से है, न देवेंद्र फडनवीस साहब से है, न कंगना रनौत से है, न सुशांत सिंह राजपूत से है। जो बात सच है, मैं ज़ोर से बोलूँगा और बोलता रहूँगा। न सत्ता में हूँ और न सत्ता में जाने की कोशिश करता हूँ। मेरे लिये जो बैठा हूँ (संपादक - सामना) मेरे लिये सबसे बड़ा पद है।
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