क्या सरकारी नौकरियाँ दिए जाने की वजह से लोग स्व रोजगार में ज़्यादा नहीं जा पाए और इस पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया? यदि सरकारी नौकरी नहीं दी जाती तो क्या देश में स्व रोजगार उबाल मार रहा होता? यदि यह बड़ी वजह है तो सरकारी नौकरियों के लिए कौन ज़िम्मेदार है? नेहरू?
भले ही यह आपको मजाक लगे, लेकिन संघ की आर्थिक शाखा स्वदेशी जागरण मंच इसे बेहद गंभीर मानता है। कम से कम उसके राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन का तो यही मानना है। महाजन कहते हैं कि इस देश को आत्मनिर्भर बनाने और बेरोजगारी को खत्म करने के लिए हमें नौकरी खोजने की मानसिकता को बदलना होगा। तो सवाल है कि नौकरी खोजने की मानसिकता पैदा करने के लिए कौन ज़िम्मेदार है?
अश्विनी महाजन इसके लिए देश के पहले प्रधानमंत्री को जिम्मेदार मानते हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'जवाहरलाल नेहरू की नीतियों के कारण लोग सरकारी नौकरियों के पीछे भागने लगे। फिर, वैश्वीकरण के कारण लोग बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरियों के पीछे भागने लगे। लेकिन यह देखते हुए कि हर साल करोड़ों लोग नौकरी बाजार में आते हैं न तो सरकार और न ही बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ इतनी नौकरियाँ दे सकती हैं। इससे निपटने का एकमात्र तरीका उद्यमियों को तैयार करना है। भारत कभी उद्यमियों का देश था। हमें उस भारत का पुनर्निर्माण करना है, और यह केवल बड़े पैमाने पर समाज के सहयोग से ही हो सकता है।'
वैसे, आरएसएस की राजनीतिक शाखा बीजेपी और इसके नेता देश की कई समस्याओं के लिए नेहरू को ही जिम्मेदार मानते रहे हैं। चाहे वह कश्मीर समस्या हो या फिर चीन के साथ सीमा विवाद का। मणिपुर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक के मामले हों या भगत सिंह की फाँसी, चंद्रशेखर आज़ाद की मौत, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेताओं की शख्सियत पर विवाद हो। भारत के विभाजन से लेकर अनुच्छेद 370 और महंगाई तक के लिए बीजेपी के कई नेता नेहरू को ज़िम्मेदार ठहराते रहे हैं।
बहरहाल, जिस स्व रोजगार के मुद्दे को लेकर स्वदेशी जागरण मंच के अश्विनी महाजन का बयान आया है, उसको वह बेरोजगारी दूर करने का अहम उपाय मानते हैं।
अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो वर्षों में स्वदेशी जागरण मंच और आरएसएस से जुड़े अन्य संगठनों ने 511 जिलों में 4,413 कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जिनमें 82,000 से अधिक युवाओं की भागीदारी हुई। 400 औद्योगिक इकाइयों को शामिल किया गया और 3,938 उद्यमियों को सम्मानित किया गया। इसने अब 448 जिला रोजगार केंद्र भी खोले हैं जो युवाओं को उनके व्यवसाय के लिए धन जुटाने, ज़रूरी प्रशिक्षण की व्यवस्था करने, कानूनी सलाह देने और सरकारी मंजूरी दिलाने में मदद करते हैं।
महाजन ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'हम युवाओं को जोखिम लेने की क्षमता विकसित करने में मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। हम उनके साथ युवा उद्यमियों की सफलता की कहानियाँ साझा कर रहे हैं। हम उन्हें टीवीएस कैपिटल जैसे निजी इक्विटी फंड, या सरकार के माध्यम से बैंक ऋण या मुद्रा ऋण के माध्यम से धन जुटाने में मदद कर रहे हैं। हम एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो इस उद्यमशीलता की प्रगति को बनाए रखेगा। हमने इसके लिए राजनेताओं से लेकर कॉरपोरेट तक सभी वर्गों को शामिल किया है।'
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