2019 के लोकसभा चुनाव की विश्वसनीयता पर मंगलवार को रिटायर्ड और वरिष्ठ नौकरशाहों ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इनका कहना है कि 2019 का लोकसभा चुनाव पिछले 30 साल में हुए चुनावों में सबसे कम निष्पक्ष और साफ़ सुथरा माना जा सकता है। इन लोगों का मानना है कि अतीत में अपराधियों, बाहुबलियोें और नेताओं की तमाम कोशिशों के बावजूद आयोग ने चुनाव कराने में अपने स्तर पर जितना मुमिकन था, चुनाव को निष्पक्ष और स्वतंत्र बनाने की कोशिश की। लेकिन इस चुनाव में यह धारणा बनी कि जिन संवैधानिक संस्थाओं पर निष्पक्ष चुनाव कराने की ज़िम्मेदारी थी, उन्होंने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को दरकिनार करने का काम किया है। अतीत में चुनाव आयोग की विश्वसनीयता, उनकी नीयत और योग्यता पर अपवाद स्वरूप ही सवाल खड़े किए गए। लेकिन मौजूदा चुनाव आयोग के बारे में यह बात नहीं कही जा सकती है। इन लोगों के मुताबिक़ यहाँ तक कि 2019 के चुनाव के दौरान आयोग की भूमिका पर पुराने चुनाव आयुक्तों ने भी दबी ज़ुबान में सवाल खड़े किए।