सुप्रीम कोर्ट के एमिकस
क्यूरी केवी विश्वनाथन ने दलील दी कि ईडी प्रमुख एस के मिश्रा को दिया गया सेवा
विस्तार 'अवैध' है। एस के मिश्रा के कार्यकाल को विस्तार को देने
वाले मामले में बहस करते हुए सीनियर एडवोकेट ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि
केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम में संशोधन, जिससे केंद्र सरकार को ईडी के निदेशक कर कार्यकाल पांच साल
तक बढ़ाने की शक्ति प्रदान की, वह भी अवैध था।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार
को हुई सुनवाई में, हाईकोर्ट के एक
फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने दलील दी कि यह मुद्दा एक व्यक्ति का एस के
मिश्रा का न होकर, सिद्धांत के बारे
में है। विश्वनाथन ने बताया कि केंद्र ने जवाब दिया था कि उसने सीवीसी अधिनियम में
संशोधन किया है और मिश्रा के कार्यकाल 17 नवंबर, 2021 को विस्तार दिया
गया है। मेरा निवेदन है कि विनीत नारायण और कॉमनकॉज आदि की याचिकाओं
को ध्यान में रखते हुए मिश्रा के सेवा विस्तार अवैध घोषित करे। यह किसी पद पर बैठे
किसी भी व्यक्ति के बारे में बिल्कुल नहीं है, बल्कि सिद्धांतों के बारे में है, एक महत्वपूर्ण सिद्धांत
जिसे आगे ले जाना होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि कि
ईडी प्रमुख को नवंबर 2021 से आगे का
विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए था क्योंकि फैसले में की गई विशिष्ट टिप्पणी थी कि
विस्तार केवल असाधारण परिस्थितियों में दिया जाना चाहिए। उन्होंने अदालत से 'कार्यपालिका के प्रभाव से बचने के व्यापक
सिद्धांत' पर विचार करने का आग्रह
किया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से
पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि अलग-अलग विस्तार एक अधिकारी
की स्वतंत्रता पर आघात है जो इस तरह के वार्षिक विस्तार के लिए सरकार से जुड़ा हुआ
था। सिंघवी ने कहा कि कार्यकाल की स्थिरता ने सार्वजनिक अधिकारियों को ताकत दी और
उन्हें स्वतंत्र उद्देश्यों के साथ जोड़ा।
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