गीता कोड़ा
बीजेपी - जगन्नाथपुर
हार
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कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय
जीत
ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है कि बीजेपी के नेताओं की ओर से महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडन किया गया हो। और शायद इससे होने वाली आलोचना से उन्हें कोई फर्क भी नहीं पड़ता। कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि गोडसे के पक्ष में बयान देने वाले नेताओं को पार्टी ने तगड़ा प्रमोशन दिया है।
फिलहाल, गोडसे को सैल्यूट करने वाले बीजेपी नेताओं में एक नया नाम जुड़ा है। इन महाशय का नाम रमेश नायडू है। इन्होंने अपने ट्विटर के कवर पर मुल्क़ के वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी के साथ अपनी तसवीर को लगाया है।
ये अपने ट्वीट में लिखते हैं कि गोडसे एक सच्चे और भारत भूमि में पैदा हुए महान देशभक्तों में से एक हैं।
गोडसे की शान में कसीदे काढ़ने वाले बीजेपी नेताओं की लंबी फेहरिस्त है और इन्होंने अपने नीचे ऐसे ‘राष्ट्रवादी’ कार्यकर्ताओं की विषबेल तैयार कर ली है जो गांधी को हिंदुओं का दुश्मन और भारत के विभाजन के लिए जिम्मेदार बताते हैं और इस काम में वे साल भर लगे रहते हैं।
इन्हीं ‘राष्ट्रवादी’ कार्यकर्ताओं ने 15 नवंबर को एक बार फिर ट्विटर पर #नाथूराम_गोडसे_अमर_रहे ट्रेंड कराया और जोरदार ढंग से कराया। कई घंटों तक यह ट्रेंड पहले व दूसरे नंबर पर रहा। इसके साथ ही #नाथूराम_गोडसे_जिंदाबाद को भी ट्रेंड कराया गया।
कर्नाटक बीजेपी के नेता नलिन कुमार कतील ने मई, 2019 में ट्वीट कर गोडसे का खुलकर पक्ष लेते हुए कहा था, 'गोडसे ने एक को मारा, कसाब ने 72 को और राजीव ने 17 हज़ार को, अब आप देखिए कौन सबसे ज़्यादा जालिम है।' अगस्त में ही उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। कतील लंबे समय से बीजेपी से जुड़े रहे हैं। वह कर्नाटक की दक्षिण कन्नड सीट से सांसद हैं और अपने छात्र जीवन से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं। कतील 18 साल की उम्र में आरएसएस के प्रचारक बन गए थे। 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में वह सांसद चुने गए।
अब आप सोचिए कि आरएसएस के प्रचारक जब गोडसे का खुलकर पक्ष लेते हों तो आम कार्यकर्ता को वे क्या ‘बौद्धिक ज्ञान’ देते होंगे।
पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान ही बीजेपी नेता साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने भी बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था। मालेगांव बम धमाकों की अभियुक्त रहीं प्रज्ञा ने एक पत्रकार के सवाल पूछने पर कहा था, ‘नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, हैं और रहेंगे। जो लोग उन्हें आतंकवादी कह रहे हैं, उन्हें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।’ किरकिरी होने पर उन्होंने अपने बयान पर माफ़ी मांगी थी। लेकिन बावजूद इसके वह भारी वोटों से चुनाव जीती थीं।
कतील को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के अलावा प्रज्ञा ठाकुर को रक्षा मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति में शामिल किया गया था। प्रज्ञा ने संसद में भी नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था।
प्रज्ञा ठाकुर को पार्टी के भीतर समर्थन मिला था और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े ने उनकी तारीफ़ की थी। उन्होंने प्रज्ञा के बयान को सही ठहराते हुए कहा था, ‘मैं खुश हूं कि क़रीब 7 दशक बाद आज की नई पीढ़ी इस मुद्दे पर चर्चा कर रही है और साध्वी प्रज्ञा को इस पर माफ़ी मांगने की ज़रूरत नहीं है।’
मध्य प्रदेश बीजेपी की मीडिया सेल के प्रमुख अनिल कुमार सौमित्र ने मई, 2019 में बापू को ‘फ़ादर ऑफ़ पाकिस्तान’ यानी पाकिस्तान का राष्ट्रपिता कहा था। तब विवाद बढ़ने के कारण बीजेपी ने उन्हें पद से हटा दिया था लेकिन कुछ ही दिन पहले उन्हें पत्रकारिता के सर्वोच्च संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) में प्रोफ़ेसर नियुक्त किया गया है।
लोकसभा चुनाव के दौरान इन बयानों के कारण घिरी बीजेपी के बचाव में उतरते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे को लेकर जो भी बातें की गई हैं, वे बेहद ख़राब हैं। ये बातें पूरी तरह से घृणा के लायक हैं, सभ्य समाज के अंदर इस प्रकार की बातें नहीं चलती हैं। भले ही इस मामले में उन्होंने माफ़ी मांग ली हो, लेकिन मैं अपने मन से उन्हें कभी भी माफ़ नहीं कर पाऊंगा।’
बीजेपी ने कहा था कि वह ऐसे नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेगी और ख़ुद तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह ने यह बात कही थी। लेकिन बजाय कार्रवाई के ऐसे नेताओं को तरक्की दे दी गई।
ऐसे में बीजेपी किस मुंह से गांधी जयंती पर देश भर में प्रोग्राम करती है। लेकिन दिक्कत यह है कि उसके इस चेहरे को जनता के सामने लाने वाला कोई नहीं है। लोगों को यह बताया जाना चाहिए कि बापू के हत्यारे के प्रति अगाध श्रद्धा रखने वाले और उन्हें सच्चा देशभक्त बताने वाले ये लोग बीजेपी में ऊंचे पदों पर बैठे और सरकार में शामिल रह चुके नेता हैं और दिन भर बापू को गालियां देने वाले लोग इनके ‘राष्ट्रवादी’ कार्यकर्ता। ऐसे में बीजेपी का बापू के प्रति कितना सम्मान है, इस बारे में कुछ और कहने लायक शब्द शेष नहीं हैं।
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