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राज्यसभा में भी पास हुआ तीन तलाक़ बिल

लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी तीन तलाक़ बिल पास हो गया है। राज्यसभा में बिल के पक्ष में 99 और विपक्ष में 84 वोट पड़े हैं। लोकसभा में बिल के पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट पड़े थे। 

राज्यसभा में भी तीन तलाक़ बिल पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि पूरे देश के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है। आज करोड़ों मुसलिम माताओं-बहनों की जीत हुई है और उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला है। 
बता दें कि इस विधेयक में एक साथ तीन तलाक़ दिए जाने को अपराध करार दिया गया है और दोषी पाए जाने पर जेल भेजने का भी प्रावधान किया गया है। विधेयक में इसी बात को लेकर विवाद है। लेकिन इसके बावजूद सरकार विधेयक को मौजूदा स्वरूप में ही पास कराने पर अड़ी रही। इसे लेकर सरकार की नीयत पर सवाल उठते रहे हैं। 

विधेयक पर वोटिंग के दौरान विपक्ष के कई सांसद सदन में मौजूद नहीं थे। इससे राज्यसभा में यह विधेयक पास कराने की मोदी सरकार की राह आसान हो गई। इसे मोदी सरकार की बड़ी जीत माना जा रहा है। 

इससे पहले राज्यसभा में मंगलवार को 4 घंटे बहस के बाद तीन तलाक़ विधेयक को सलेक्शन कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव 84 के मुकाबले 100 वोटों से गिर गया था। वोटिंग से पहले जद-यू, टीआरएस समेत 5 दलों ने वॉकआउट कर दिया। वोटिंग के दौरान ही कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने बिल को सलेक्ट कमेटी के पास भेजने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि हमें मजबूरी में इस बिल के ख़िलाफ़ वोट करना होगा। विधेयक के पास होने के वक्त कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी नेताओं के चेहरों पर हवाईयाँ उड़ी हुईंं थींं।

बहस के दौरान क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘यह (तीन तलाक़ बिल) लैंगिक समानता और महिलाओं के सम्मान का मामला है। तीन तलाक़ कहकर बेटियों को छोड़ दिया जाता है, इसे सही नहीं कहा जा सकता।’ बीजेपी सांसद मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि सामाजिक कुप्रथा को ख़त्म करने के लिए हम यह बिल लेकर आए हैं। वोटिंग से पहले जद-यू और टीआरएस ने सदन से वॉकआउट कर दिया। 

इससे पहले क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में मुसलिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक पेश करते हुए कहा कि हम इस सदन से सियासत और वोट बैंक से ऊपर उठकर इंसानियत, इंसाफ़ और मानवता का पक्ष लेने की अपील करते हैं। 
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इससे पहले 16वीं लोकसभा में भी तीन तलाक़ बिल पास हो चुका था, लेकिन तब यह राज्यसभा में अटक गया था। राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत नहीं है। साथ ही सहयोगी दल जेडीयू ने भी इस बिल का विरोध किया है। यही कारण है कि बीजेपी ने सभी सदस्यों को राज्यसभा में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया था। सरकार ने राज्य सभा में तीसरे प्रयास में इस विधेयक को पास कराया है। इससे पहले पिछली लोकसभा के दौरान सरकार के दो कोशिशें नाकाम हो चुकी थींं।
केंद्र में मोदी सरकार की वापसी के बाद से ही सरकार की तरफ़ से दावा किया जा रहा था कि इस बार राज्यसभा में इस विधेयक को आसानी से पास करा लिया जाएगा और सरकार ने यह करके दिखा दिया।
बीजेपी इस बिल को राज्यसभा में किसी भी सूरत में पास कराना चाहती थी। इसके लिए उसने विपक्षी ख़ेमे में सेंधमारी भी की। बता दें कि कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने मंगलवार को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने उनका इस्तीफा मंगलवार को ही मंजूर भी कर लिया। कांग्रेस से संजय सिंह के इस्तीफे के बाद राज्यसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 48 से घटकर 47 रह गई। यह एक संकेत था कि राज्यसभा में सरकार तीन तलाक़ बिल को आसानी से पास करा लेगी।
मोदी सरकार ने इससे पहले बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन से पिछले सप्ताह सूचना का अधिकार विधेयक राज्यसभा में पारित करा लिया था। तीन तलाक़ बिल को राज्यसभा में पास कराने को लेकर भी बीजेपी को इन दलों से फिर से समर्थन की उम्मीद थी। 
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संसद के दोनों सदनों में यह विधेयक पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास दस्तख़त के लिए जाएगा। राष्ट्रपति के दस्तख़त के बाद यह वजूद में आ जाएगा। और क़ानून बन जाएगा। क़ानून लागू होने के बाद एक साथ तीन तलाक़ दे देकर अपनी बीवी को छोड़ने वाले मुसलिम शौहर के लिए ऐसा करना आसान नहीं होगा क्योंकि इस स्थिति में महिला या उसके परिवार की तरफ़ से पुलिस में शिकायत दर्ज करा कर उसे जेल भेजना आसान हो जाएगा। यह क़ानून तलाक़ पाई हुई मुसलिम महिला को अपने शौहर से अपने और अपने बच्चों के लिए भरण-पोषण हासिल करने का हक़ भी देता है अगर शौहर भरण-पोषण देने में आनाकानी करता है तो उसे 3 साल तक की सजा हो सकती है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने लोकसभा में भी तीन तलाक़ बिल का पुरजोर विरोध किया था और राज्यसभा में भी किया। जेडीयू के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह ने लोकसभा में कहा था कि इस बिल से समुदाय विशेष में अविश्वास पैदा होगा इसलिए हमारी पार्टी इस बिल का समर्थन नहीं करेगी और जेडीयू सदन का बहिष्कार करती है।
तीन तलाक़ विधेयक को लेकर बीजेपी काफ़ी गंभीर रही है और उसने इस मुद्दे को अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल किया था। ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैलियों में मुसलिम महिलाओं को एक साथ तीन तलाक़ से आज़ादी दिलाने का वादा किया था।

बता दें कि दुनिया के कई देशों में एक साथ तीन तलाक़ पर पूरी तरह प्रतिबंध है। यहाँ तक कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका ने भी इस पर रोक लगा दी है। भारत में मुसलिम समुदाय को सबसे ज़्यादा इस बात पर आपत्ति है कि एक साथ तीन तलाक़ पर संबंधित व्यक्ति को सजा का प्रावधान क्यों किया गया है।

ग़ौरतलब है कि जिन मुसलिम देशों ने एक साथ तीन तलाक़ पर पाबंदी लगाई हुई है, वहाँ भी तलाक़ देने वाले शौहर को जेल भेजने का प्रावधान नहीं है। इसके अलावा देश में मुसलिम समुदाय के अलावा बाक़ी समुदायों में भी तलाक़ का प्रावधान तो है लेकिन किसी भी समुदाय में तलाक़ देने वाले व्यक्ति को जेल भेजने का प्रावधान नहीं है। 

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यूसुफ़ अंसारी
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