लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी तीन तलाक़ बिल पास हो गया है। राज्यसभा में बिल के पक्ष में 99 और विपक्ष में 84 वोट पड़े हैं। लोकसभा में बिल के पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट पड़े थे।
पूरे देश के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है। आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई है और उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला है। सदियों से तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आज न्याय मिला है। इस ऐतिहासिक मौके पर मैं सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं।
— Narendra Modi (@narendramodi) July 30, 2019
विधेयक पर वोटिंग के दौरान विपक्ष के कई सांसद सदन में मौजूद नहीं थे। इससे राज्यसभा में यह विधेयक पास कराने की मोदी सरकार की राह आसान हो गई। इसे मोदी सरकार की बड़ी जीत माना जा रहा है।
इससे पहले राज्यसभा में मंगलवार को 4 घंटे बहस के बाद तीन तलाक़ विधेयक को सलेक्शन कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव 84 के मुकाबले 100 वोटों से गिर गया था। वोटिंग से पहले जद-यू, टीआरएस समेत 5 दलों ने वॉकआउट कर दिया। वोटिंग के दौरान ही कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने बिल को सलेक्ट कमेटी के पास भेजने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि हमें मजबूरी में इस बिल के ख़िलाफ़ वोट करना होगा। विधेयक के पास होने के वक्त कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी नेताओं के चेहरों पर हवाईयाँ उड़ी हुईंं थींं।
बहस के दौरान क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘यह (तीन तलाक़ बिल) लैंगिक समानता और महिलाओं के सम्मान का मामला है। तीन तलाक़ कहकर बेटियों को छोड़ दिया जाता है, इसे सही नहीं कहा जा सकता।’ बीजेपी सांसद मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि सामाजिक कुप्रथा को ख़त्म करने के लिए हम यह बिल लेकर आए हैं। वोटिंग से पहले जद-यू और टीआरएस ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
केंद्र में मोदी सरकार की वापसी के बाद से ही सरकार की तरफ़ से दावा किया जा रहा था कि इस बार राज्यसभा में इस विधेयक को आसानी से पास करा लिया जाएगा और सरकार ने यह करके दिखा दिया।
मोदी सरकार ने इससे पहले बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन से पिछले सप्ताह सूचना का अधिकार विधेयक राज्यसभा में पारित करा लिया था। तीन तलाक़ बिल को राज्यसभा में पास कराने को लेकर भी बीजेपी को इन दलों से फिर से समर्थन की उम्मीद थी।
तीन तलाक़ विधेयक को लेकर बीजेपी काफ़ी गंभीर रही है और उसने इस मुद्दे को अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल किया था। ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैलियों में मुसलिम महिलाओं को एक साथ तीन तलाक़ से आज़ादी दिलाने का वादा किया था।
बता दें कि दुनिया के कई देशों में एक साथ तीन तलाक़ पर पूरी तरह प्रतिबंध है। यहाँ तक कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका ने भी इस पर रोक लगा दी है। भारत में मुसलिम समुदाय को सबसे ज़्यादा इस बात पर आपत्ति है कि एक साथ तीन तलाक़ पर संबंधित व्यक्ति को सजा का प्रावधान क्यों किया गया है।
ग़ौरतलब है कि जिन मुसलिम देशों ने एक साथ तीन तलाक़ पर पाबंदी लगाई हुई है, वहाँ भी तलाक़ देने वाले शौहर को जेल भेजने का प्रावधान नहीं है। इसके अलावा देश में मुसलिम समुदाय के अलावा बाक़ी समुदायों में भी तलाक़ का प्रावधान तो है लेकिन किसी भी समुदाय में तलाक़ देने वाले व्यक्ति को जेल भेजने का प्रावधान नहीं है।
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