रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बातचीत में भारत को जोड़ने पर जोर दिया है। रघुराम राजन बुधवार को राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए थे। इसके बाद कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और रघुराम राजन के बीच सामाजिक, आर्थिक और तमाम मुद्दों पर हुई बातचीत का एक वीडियो जारी किया गया है।
रघुराम राजन ने कहा कि राहुल गांधी सांप्रदायिक एकता और शांति के लिए पदयात्रा कर रहे हैं, इसकी देश को काफी जरूरत है और भारत को जोड़ना है। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि शांति और भाईचारे से फायदा होता है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि बाहरी ताकतों से सुरक्षा के लिए आंतरिक सौहार्द्र बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि हम अल्पसंख्यकों को दबा देंगे और इससे मजबूत होंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सकता।
रघुराम राजन ने कहा कि दुनिया के काफी देश भारत की ओर देख रहे हैं कि भारत क्या करेगा और हमें सोचना चाहिए कि हम क्या कर रहे हैं और किस दिशा में जा रहे हैं।
इस पर राहुल गांधी ने कहा कि आज के वक्त में अमेरिका, चीन यूक्रेन सब जगह नफरत फैल रही है ऐसी दुनिया में भारत रास्ता दिखा सकता है और अहम भूमिका निभा सकता है। पूरी बातचीत को नीचे दिए वीडियो लिंक पर सुन सकते हैं।
सरकार को किया था आगाह
रघुराम राजन ने इस साल अप्रैल में आगाह किया था कि अल्पसंख्यक विरोधी छवि से कंपनियों को नुकसान हो सकता है और इसका यह नतीजा भी हो सकता है कि विदेशी सरकारें भारत को अविश्वसनीय सहयोगी के तौर पर देखने लगें।
बातचीत के दौरान रघुराम राजन ने कहा कि कोरोना महामारी में सबसे ज्यादा नुकसान लोअर मिडिल क्लास का हुआ, नौकरियां चली गई, बेरोजगारी बढ़ी, कर्ज बढ़ा और ब्याज दर बढ़ती जा रही है।
प्राइवेट सेक्टर पर दें जोर
रघुराम राजन ने कहा कि बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है और अधिकतर युवा सरकारी नौकरी चाहते हैं क्योंकि उसमें उन्हें पेंशन और सुरक्षा का एहसास रहता है लेकिन अगर सारी सरकारी नौकरियों में भी नियुक्तियां कर दी जाएं तो भी 1 से 2 फीसद लोगों को रोजगार दिया जा सकता है।
इसलिए हमें प्राइवेट सेक्टर को बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। इसके अलावा कृषि के क्षेत्र में अगर तकनीक को बढ़ाया जाए तो वहां पर भी रोजगार बढ़ाया जा सकता है।
रघुराम राजन ने साल 2008 में आए वैश्विक वित्तीय संकट की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी। उन्होंने नोटबंदी के फैसले को लेकर मोदी सरकार को चेताया था। राजन ने इस साल जून में कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का जो लक्ष्य रखा गया है, अगर कोरोना महामारी नहीं आई होती, उसके बाद भी उसे हासिल करना नामुमकिन था।
आर्थिक नीतियों के आलोचक रहे हैं राजन
अर्थशास्त्र की बेहतर समझ रखने वाले रघुराम राजन ने कोरोना के बाद बने खराब आर्थिक हालात के दौरान सरकार को चेताया था कि अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए वरना यह चौपट हो जाएगी और फिर इसे दुरुस्त करना मुश्किल होगा।
रघुराम राजन ने साल 2016 दोबारा गवर्नर बनने से इंकार कर दिया था। उन्हें हटाए जाने को लेकर बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अभियान चलाया था। वह सितंबर, 2013 से सितंबर, 2016 तक गवर्नर के पद पर रहे थे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अक्टूबर, 2019 में न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रघुराम राजन का कार्यकाल भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का "सबसे खराब दौर" था। उन्हें जवाब देते हुए राजन ने कहा था कि गवर्नर के रूप में उनका दो-तिहाई कार्यकाल एनडीए सरकार में ही रहा था और वह यूपीए सरकार के वक्त सिर्फ 8 महीने तक गवर्नर रहे थे।
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