राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष का उम्मीदवार कौन होगा इसे लेकर तमाम नाम सामने आ रहे हैं। एक नाम एनसीपी के प्रमुख और देश की सियासत के तजुर्बेकार नेता शरद पवार का है। कहा जा रहा है कि शरद पवार राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की ओर से उम्मीदवार हो सकते हैं।
उधर, बीजेपी की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को इस संबंध में अलग-अलग राजनीतिक दलों के साथ बातचीत की जिम्मेदारी दी गई है। दोनों नेताओं की कोशिश राष्ट्रपति चुनाव में सभी दलों के बीच आम सहमति बनाने की होगी।
टीएमसी की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस संबंध में 15 जून को दिल्ली में विपक्षी दलों की बैठक बुलाने की अपील की है।
बहरहाल, शरद पवार को राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार बनाने के लिए ममता बनर्जी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी दोनों ही सहमत दिखाई दे रही हैं। सोनिया गांधी ने डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन, सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी से भी बातचीत की है। हालांकि शरद पवार की ओर से इस बारे में अभी तक कुछ नहीं कहा गया है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शरद पवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की इच्छा बताई है। मल्लिकार्जुन खड़गे इस संबंध में दूसरी पार्टियों के नेताओं से भी बातचीत करेंगे।
आम आदमी पार्टी भी साथ
उधर, आम आदमी पार्टी ने भी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर शरद पवार के नाम की हिमायत की है। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह रविवार को मुंबई में शरद पवार से मिले और इस संबंध में बात की।
राजनीतिक गलियारों में एक चर्चा राज्यसभा के सांसद कपिल सिब्बल को भी उम्मीदवार बनाए जाने की है। बता दें कि राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा जबकि 21 जुलाई को नतीजे आएंगे। नामांकन की अंतिम तारीख 29 जून है।
शरद पवार एक ऐसे राजनेता हैं जिनके विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ ही बीजेपी और एनडीए में शामिल दलों के नेताओं से भी अच्छे संबंध हैं। शरद पवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी कई मौकों पर मुलाकात करते रहे हैं।
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है कि अगर शरद पवार का नाम राष्ट्रपति के पद के लिए आगे आता है तो महाराष्ट्र कांग्रेस उनका समर्थन करेगी।
यूपीए में शामिल तमाम राजनीतिक दलों के साथ ही अगर टीआरएस, टीएमसी, शिवसेना, आम आदमी पार्टी, वामदल शरद पवार के पक्ष में खड़े हो जाते हैं तो निश्चित रूप से एनडीए को चुनौती दी जा सकेगी।
ऐसी स्थिति में अन्य विपक्षी दलों जैसे वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी की भूमिका अहम होगी। बीजेपी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर इन दोनों दलों के नेताओं के संपर्क में है और इनका समर्थन जुटाना उसके लिए बेहद जरूरी होगा।
देखना होगा कि क्या विपक्षी दलों के बीच संयुक्त उम्मीदवार उतारने को लेकर किसी तरह की कोई सहमति बनती है और अगर सहमति बनी तो इससे एनडीए के लिए कितनी चुनौती खड़ी होगी।
राष्ट्रपति के चुनाव में 776 सांसद और 4033 विधायक मतदान करेंगे। इस तरह इस चुनाव में कुल 4809 मतदाता हैं। सांसदों के वोट की कुल वैल्यू 5,43,200 है जबकि विधायकों के वोट की वैल्यू 5,43,231 है और यह कुल मिलाकर 10,86,431 होती है। इसमें से जिस उम्मीदवार को 50 फ़ीसद से ज्यादा वोट मिलेंगे, उसे जीत हासिल होगी। बीजेपी और उसके सहयोगी दल 50 फीसद वोटों के आंकड़े से 13000 वोट पीछे हैं।
2017 के राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को के. चंद्रशेखर राव यानी केसीआर की टीआरएस के साथ ही वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी का भी समर्थन मिला था। लेकिन इस बार केसीआर विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसके साथ ही तेलंगाना में उनकी बीजेपी के साथ राजनीतिक लड़ाई भी है। तेलंगाना में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं और बीजेपी से मिल रही चुनौती को देखते हुए ऐसा लगता है कि केसीआर इस बार एनडीए के उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेंगे।
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