‘भ्रष्टाचार का आरोप मात्र लगाना अवमानना का आधार नहीं बन सकता है, भ्रष्टाचार की परिभाषा में केवल पैसा लेना ही नहीं शामिल है, भ्रष्टाचार की परिभाषा में भाई-भतीजावाद, पक्षपात, निर्णय लेने के अधिकार का ग़लत प्रयोग करना आदि बातें भी शामिल होती हैं।’ यह कहना है जाने माने वकील प्रशान्त भूषण का। साल 2009 में सुप्रीम कोर्ट के 16 में से आधे मुख्य न्यायाधीशों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के अवमानना के मामले में उनकी यह सफ़ाई आई है। इनको हाल में ही सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट पर ट्वीट करके बदनाम करने के मामले में दोषी ठहराया है।