‘भ्रष्टाचार का आरोप मात्र लगाना अवमानना का आधार नहीं बन सकता है, भ्रष्टाचार की परिभाषा में केवल पैसा लेना ही नहीं शामिल है, भ्रष्टाचार की परिभाषा में भाई-भतीजावाद, पक्षपात, निर्णय लेने के अधिकार का ग़लत प्रयोग करना आदि बातें भी शामिल होती हैं।’ यह कहना है जाने माने वकील प्रशान्त भूषण का। साल 2009 में सुप्रीम कोर्ट के 16 में से आधे मुख्य न्यायाधीशों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के अवमानना के मामले में उनकी यह सफ़ाई आई है। इनको हाल में ही सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट पर ट्वीट करके बदनाम करने के मामले में दोषी ठहराया है।
जजों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाना मात्र अवमानना का आधार नहीं: प्रशान्त भूषण
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- 17 Aug, 2020

साल 2009 में प्रशान्त भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के 16 में से आधे मुख्य न्यायाधीशों पर भ्रष्ट होने के आरोप लगाये थे। इस अवमानना के मामले में प्रशान्त भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है।
साल 2009 में सुप्रीम कोर्ट के 16 में से आधे मुख्य न्यायाधीशों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले वकील प्रशान्त भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के जारी नोटिस पर जवाब दाखिल किया। इसमें उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गये हैं। प्रशान्त भूषण की तरफ़ से जवाब दाखिल करते हुए कामिनी जायसवाल ने अपने हलफ़नामे में कहा कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस पी भरुचा ने कहा है कि न्यायपालिका में 20 फ़ीसदी जज भ्रष्ट हैं जबकि पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी सथासिवम ने एक अख़बार को इंटरव्यू देते हुए कहा कि मुझे यह स्वीकार करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि न्यायपालिका भ्रष्टाचार से अछूती नहीं है।