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प्रदूषण के ख़तरनाक असर से बचने के लिए क्या करें और क्या नहीं?

दिल्ली-एनसीआर में जो दीपावली की रात हवा ख़राब हुई उसके बाद भी इसमें कमी नहीं हुई है, बल्कि यह और ज़्यादा ख़राब होती चली गई। बुधवार को तो हवा की गुणवत्ता गंभीर स्थिति में पहुँच गई। बुधवार शाम पाँच बजे हवा की गुणवत्ता यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) औसत रूप से 419 तक पहुँच गया था। 201 से 300 के बीच एक्यूआई को ‘ख़राब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत ख़राब’ और 401 और 500 के बीच होने पर उसे ‘गंभीर’ माना जाता है। गुरुवार को भी दिन भर फॉग छाया रहा। 

यह फॉग कुछ और नहीं बल्कि स्वास्थ्य को ख़राब करने वाले 'पीएम 2.5', 'पीएम 10', सल्फ़र डाई ऑक्साइड और अन्य प्रदूषण के कण हैं। पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर वातावरण में मौजूद बहुत छोटे कण होते हैं। इसका तत्काल प्रभाव यह होता है कि गले में जलन, आँखों से पानी आना, साँस लेने में दिक्कत जैसी परेशानियाँ आती हैं। लेकिन डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहती है कि वायु प्रदूषण से कैंसर, अस्थमा, फेफड़े का इन्फ़ेक्शन, न्यूमोनिया और साँस से जुड़ी कई गंभीर इंफ़ेक्शन हो सकते हैं। यह मौत का कारण भी बनता है। ऐसे में बचाव के उपाय ज़रूरी हैं। आइए जानते हैं कैसे करें बचाव-

बचाव के उपाय

  • फॉग होने पर घर से बाहर कम से कम निकलें। यानी ज़रूरी होने पर ही बाहर जाएँ।
  • जब ज़रूरी हो तो घर से बाहर निकलने से पहले चेहरे को मास्क से ढक लें।
  • साधारण कपड़े का मास्क प्रदूषण के इस तरह के उच्च स्तर से रक्षा नहीं कर सकते हैं।
  • पार्कों और बगीचे में व्यायाम करने से बचें। घर के अंदर योगा जैसे व्यायाम कर सकते हैं।
  • कसरत के समय ज़्यादा साँस लेनी पड़ती है इससे अधिक धूल-कण शरीर में जाते हैं।
  • बाहर फॉग होने पर घर के दरवाजे और खिड़कियाँ बंद रखें।
  • आप खिड़की पर जाली लगा सकते हैं जो धूल-कणों के लिए फ़िल्टर के रूप में कार्य करेगा। 
  • घर में झाड़ू की जगह वैक्युम क्लीनर का इस्तेमाल करेंगे तो धूल-कण कम उड़ेंगे।
  • पिस लिली, गुलदाउदी, गोल्डन पोथोस, और इंग्लिश आइवी जैसे हवा शुद्ध करने वाले पौधे लगाने चाहिए।
  • कम से कम वाहन चलाने की कोशिश करें। कार में एयर प्यूरी लगाएँ व नियमित रूप से इसे बदलें।
  • पौष्टिक आहार से कुछ हद तक प्रदूषण के ख़तरनाक असर से लड़ा जा सकता है। 
  • प्रतिरक्षा क्षमता को मज़बूत बनाने के लिए अदरक और तुलसी की चाय पीएँ।
  • बच्चे और वृद्ध ज़्यादा प्रभावित होते हैं इसलिए इनके लिए ज़्यादा सावधानी बरतें।
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क़मर वहीद नक़वी
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