loader

मोदी का रिटायरमेंट प्लान तैयार- राउत; ज़रूरत नहीं- फडणवीस

क्या पीएम मोदी का रिटायरमेंट प्लान तय हो गया है? इसी के लिए पीएम मोदी संघ मुख्यालय गए थे? यदि ऐसा है तो आख़िर उनका उत्तराधिकारी कौन होगा? ये वो सवाल हैं जो संजय राउत के चौंकाने वाले बयान के बाद उठ रहे हैं।

शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने सोमवार को एक सनसनीखेज दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नागपुर स्थित आरएसएस के मुख्यालय का दौरा किया ताकि सितंबर में अपनी रिटायरमेंट की योजना की घोषणा कर सकें। इस बयान ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। दूसरी ओर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राउत के दावे को सिरे से खारिज करते हुए इसे 'मुगल संस्कृति' का हिस्सा करार दिया। फडणवीस ने ऐसा क्यों कहा, उन्होंने क्या-क्या कहा है और इसको लेकर राजनीति में क्या हलचल है, यह जानने से पहले यह जान लें कि संजय राउत ने किस आधार पर यह कहा। 

ताज़ा ख़बरें

संजय राउत ने मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'पीएम मोदी आरएसएस कार्यालय गए ताकि अपनी रिटायरमेंट की घोषणा कर सकें। मेरी जानकारी के अनुसार, वह पिछले 10-11 सालों में कभी आरएसएस मुख्यालय नहीं गए। आरएसएस देश के नेतृत्व में बदलाव चाहता है।' राउत ने आगे दावा किया कि मोदी का उत्तराधिकारी महाराष्ट्र से होगा और इसकी घोषणा आरएसएस करेगा। यह बयान उस समय आया है जब पीएम मोदी ने रविवार को नागपुर में आरएसएस मुख्यालय का दौरा किया और संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को श्रद्धांजलि दी। यह दौरा 11 साल में उनकी पहली आधिकारिक यात्रा थी, जिसे राउत ने अपने दावे का आधार बनाया।

संजय राउत का यह बयान बीजेपी की उस कथित अघोषित नीति से जोड़ा जा रहा है, जिसमें 75 साल की उम्र पार करने वाले नेताओं को सक्रिय राजनीति से रिटायर होने की बात कही जाती है। कहा जाता है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में ही आडवाणी से लेकर जोशी तक को 75 साल होने पर मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया गया था। क्या वे खुद इस नियम का पालन करेंगे? मोदी सितंबर 2025 में 75 साल के हो जाएंगे, और राउत ने इसे अपने तर्क का आधार बनाया। हालांकि, भाजपा ने पहले ही साफ़ किया है कि ऐसी कोई औपचारिक नीति नहीं है। फिर भी, यह मुद्दा विपक्ष के लिए हमेशा से एक हथियार रहा है, जैसा कि पिछले साल लोकसभा चुनाव में आप नेता अरविंद केजरीवाल ने भी उठाया था।

राउत के दावे के जवाब में देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर में कहा, '2029 में हम मोदी को फिर से प्रधानमंत्री के रूप में देखेंगे। उनके उत्तराधिकारी की खोज की कोई जरूरत नहीं है। वह हमारे नेता हैं और आगे भी रहेंगे। हमारी संस्कृति में जब पिता जीवित होते हैं, तो उत्तराधिकार की बात करना अनुचित है। यह मुगल संस्कृति है।' फडणवीस का यह बयान न केवल राउत के दावे को खारिज करता है, बल्कि इसे सांस्कृतिक संदर्भ में भी चुनौती देता है। 
'मुगल संस्कृति' का तंज एक राजनीतिक कटाक्ष है, जो विपक्ष पर विदेशी मानसिकता थोपने का आरोप लगाता है, जबकि बीजेपी और आरएसएस खुद को भारतीय संस्कृति के संरक्षक के रूप में पेश करते हैं।
फडणवीस के इस बयान ने बहस को एक नया रूप दे दिया है। उन्होंने मोदी को 'पिता' की संज्ञा देकर उनके नेतृत्व को अटूट और पारिवारिक बताया, जो भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच भावनात्मक जुड़ाव पैदा करने की रणनीति हो सकती है। साथ ही, यह आरएसएस और भाजपा के बीच गहरे रिश्ते को भी दिखाता है, जिसे राउत ने अपने दावे में चुनौती दी थी।
देश से और ख़बरें

यह विवाद कई सवाल उठाता है। पहला, क्या वाक़ई आरएसएस और भाजपा के बीच नेतृत्व को लेकर कोई मतभेद है? राउत का दावा इस ओर इशारा करता है कि आरएसएस अब बदलाव चाहता है, लेकिन फडणवीस और वरिष्ठ आरएसएस नेता सुरेश 'भैय्याजी' जोशी ने इसे खारिज कर दिया। जोशी ने कहा, 'मुझे ऐसी किसी चर्चा की जानकारी नहीं है।' यह संकेत देता है कि राउत का बयान शायद तथ्यों से ज़्यादा अटकलबाजी पर आधारित है।

दूसरा, यह मुद्दा 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) जैसे दल शिक्षा नीति, आर्थिक मुद्दों के साथ-साथ अब नेतृत्व पर सवाल उठाकर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। राउत का यह बयान उस कड़ी का हिस्सा हो सकता है, जिसका मक़सद बीजेपी के भीतर अनिश्चितता का माहौल बनाना है।

ख़ास ख़बरें

फडणवीस का 'मुगल संस्कृति' वाला तंज सिर्फ़ एक जवाब नहीं, बल्कि एक वैचारिक हमला भी है। यह उस लंबे समय से चली आ रही बहस को फिर से जिंदा करता है, जिसमें भाजपा और आरएसएस अपने विरोधियों को 'गैर-भारतीय' मानसिकता वाला करार देते हैं। यह तर्क आरएसएस की उस विचारधारा से जुड़ा है, जो भारतीय संस्कृति को एकजुट और सर्वोच्च मानती है। राउत का दावा, अगर सच भी मान लिया जाए, तो यह सवाल उठाता है कि क्या आरएसएस वाकई अपने सबसे बड़े स्वयंसेवक (मोदी) को बदलने की सोच रहा है, या यह सिर्फ विपक्ष का दुष्प्रचार है।

संजय राउत का दावा और देवेंद्र फडणवीस का जवाब भारतीय राजनीति में एक नया ड्रामा लेकर आए हैं। जहां राउत ने मोदी के भविष्य पर सवाल उठाकर चर्चा छेड़ दी, वहीं फडणवीस ने इसे न केवल खारिज किया, बल्कि सांस्कृतिक आधार पर विपक्ष को कठघरे में खड़ा कर दिया। तथ्यों की कमी के चलते राउत का बयान फिलहाल अटकलबाजी ही लगता है, लेकिन यह निश्चित रूप से आने वाले दिनों में राजनीतिक बहस को गर्म रखेगा। क्या यह महज एक शिगूफा है या इसके पीछे कोई बड़ा सच छिपा है, यह वक्त ही बताएगा।

(रिपोर्ट का संपादन: अमित कुमार सिंह)
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें