अनुसूचित जाति, जनजाति जैसे वर्गों को मिले आरक्षण को ख़त्म करने की वकालत करने वालों को एक संसदीय पैनल की रिपोर्ट से निराशा हाथ लग सकती है। इस पैनल ने साफ़ तौर पर कहा है कि दिल्ली एम्स जैसे संस्थानों में भी नौकरी देने में एससी-एसटी वर्ग के लोगों के साथ भेदभाव बरता गया।
योग्य एससी-एसटी डॉक्टरों को एम्स में नौकरी नहीं दी गई?
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- 27 Jul, 2022
क्या राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के एम्स जैसे संस्थानों में एससी-एसटी वर्ग से आने वाले डॉक्टरों के साथ भेदभाव होता है? आख़िर, संसदीय पैनल ने क्यों कहा है कि योग्य एससी-एसटी डॉक्टरों को नौकरी से वंचित रखा गया?

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण पर संसदीय समिति ने कहा है कि एम्स में एड-हॉक यानी तदर्थ आधार पर कई वर्षों तक काम करने वाले अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों को नियमित करने के समय रिक्त पदों के लिए नहीं चुना गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि कारण यह बताया गया कि कोई भी उम्मीदवार प्रवेश के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया।