मोदी सरकार की सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर तो विवाद रहा ही है, लेकिन अब इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा नये संसद भवन के ऊपर लगाए गए राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न पर विवाद हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्रतीक चिह्न का अनावरण किया और इसपर सवाल उठने लगे। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न के मूल रूप से छेड़छाड़ की गई है और उसके हावभाव को बदला गया है। इस पर आपत्ति करने वालों में सीपीएम, टीएमसी, राजद, आम आदमी पार्टी के नेता शामिल हैं। हालाँकि, प्रतीक चिह्न के डिजाइनरों ने दावा किया है कि राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
उनके दावों के उलट राजनीतिक दलों के नेताओं और आम लोगों ने पहले के राष्ट्रीय चिह्न के साथ इसकी तुलना कर बदलाव को साफ़ तौर पर दिखाने की कोशिश की है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थॉमस इसाक ने कहा है, 'अशोक स्तम्भ जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों को अपवित्र करने का अधिकार किसी को नहीं है। मोदी ने राष्ट्रीय प्रतीक पर दुबले, शांत और शालीन शेरों को ग़ुस्सैल, तंदुरुस्त और ख़तरनाक शेरों में बदल दिया है। हिंदुत्व परिवर्तन का सच्चा मॉडल।'
No one has the right to desecrate national icons such as the Ashok Stambh. Modi has converted the lean, serene and graceful lions on the national emblem into scowling, muscular and menacing lions. True model of Hindutva transformation. pic.twitter.com/8pJ7MpKxeZ
— Thomas Isaac (@drthomasisaac) July 12, 2022
इसके साथ ही विपक्षी दलों ने यह भी सवाल किया है कि कार्यकारिणी के प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री ने प्रतीक का अनावरण क्यों किया।
हैदराबाद के सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया, 'सरकार के प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री को नए संसद भवन के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण नहीं करना चाहिए था। प्रधानमंत्री ने सभी संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया है।'
Constitution separates powers of parliament, govt & judiciary. As head of govt, @PMOIndia shouldn’t have unveiled the national emblem atop new parliament building. Speaker of Lok Sabha represents LS which isn’t subordinate to govt. @PMOIndia has violated all constitutional norms pic.twitter.com/kiuZ9IXyiv
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 11, 2022
लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल ने ट्वीट किया कि "मूल कृति के चेहरे पर सौम्यता का भाव तथा अमृत काल में बनी मूल कृति की नक़ल के चेहरे पर इंसान, पुरखों और देश का सबकुछ निगल जाने की आदमखोर प्रवृति का भाव मौजूद है। हर प्रतीक चिह्न इंसान की आंतरिक सोच को प्रदर्शित करता है। इंसान प्रतीकों से आमजन को दर्शाता है कि उसकी फितरत क्या है।'
मूल कृति के चेहरे पर सौम्यता का भाव तथा अमृत काल में बनी मूल कृति की नक़ल के चेहरे पर इंसान, पुरखों और देश का सबकुछ निगल जाने की आदमखोर प्रवृति का भाव मौजूद है।
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) July 11, 2022
हर प्रतीक चिन्ह इंसान की आंतरिक सोच को प्रदर्शित करता है। इंसान प्रतीकों से आमजन को दर्शाता है कि उसकी फितरत क्या है। pic.twitter.com/EaUzez104N
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए पूछा है, 'मैं 130 करोड़ भारतवासियों से पूछना चाहता हूँ राष्ट्रीय चिह्न बदलने वालों को 'राष्ट्र विरोधी' बोलना चाहिये या नहीं बोलना चाहिये?'
मैं 130 करोड़ भारतवासियों से पूछना चाहता हूँ राष्ट्रीय चिन्ह बदलने वालों को “राष्ट्र विरोधी”बोलना चाहिये की नही बोलना चाहिये। https://t.co/JxhsROGMRi
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) July 11, 2022
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और सरकार द्वारा संचालित प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार ने इसे 'हमारे राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान' करार दिया। प्रतीक और इसके नए संस्करण की तसवीरों को साथ-साथ साझा करते हुए उन्होंने ट्वीट किया, 'मूल बाईं ओर, सुंदर, राजसी आत्मविश्वास से भरा है। दाईं ओर मोदी का एक संस्करण है, जिसे नए संसद भवन के ऊपर रखा गया है- झुंझलाहट, अनावश्यक रूप से आक्रामक और अनुपातहीन। शर्म करो! इसे तुरंत बदलो!'
Insult to our national symbol, the majestic Ashokan Lions. Original is on the left, graceful, regally confident. The one on the right is Modi’s version, put above new Parliament building — snarling, unnecessarily aggressive and disproportionate. Shame! Change it immediately! pic.twitter.com/luXnLVByvP
— Jawhar Sircar (@jawharsircar) July 12, 2022
तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने बिना किसी टिप्पणी के अपने ट्विटर हैंडल पर दो तस्वीरें पोस्ट कीं।
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) July 12, 2022
जाने माने वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया, 'गांधी से गोडसे तक; राजसी और शांति से बैठे शेर के हमारे राष्ट्रीय प्रतीक से लेकर सेंट्रल विस्टा में निर्माणाधीन नए संसद भवन के शीर्ष पर अनावरण किए गए नए राष्ट्रीय प्रतीक तक; नुकीले दाँतों के साथ गुस्से में शेर।
ये है मोदी का नया भारत!'
From Gandhi to Godse; From our national emblem with lions sitting majestically & peacefully; to the new national emblem unveiled for the top of the new Parliament building under construction at Central Vista; Angry lions with bared fangs.
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) July 12, 2022
This is Modi's new India! pic.twitter.com/cWAduxPlWR
जवाहर सरकार की टिप्पणी पर बीजेपी ने प्रतिक्रिया दी है। बीजपी के चंद्र कुमार बोस ने एनडीटीवी से कहा, 'समाज में सब कुछ विकसित होता है, हम भी आज़ादी के 75 साल बाद विकसित हुए हैं। एक कलाकार की अभिव्यक्ति जरूरी नहीं कि सरकार की मंजूरी हो। हर चीज के लिए, आप भारत सरकार या माननीय प्रधानमंत्री जी को दोष नहीं दे सकते हैं।'
रिपोर्ट के अनुसार, नए संसद भवन के प्रतीक चिह्न के डिजाइनर सुनील देवरे और रोमिल मूसा ने जोर देकर कहा कि इसमें 'कोई बदलाव नहीं है'। उन्होंने कहा कि 'शेरों का चरित्र समान है, बहुत मामूली भेद हो सकते हैं। लोगों की अलग-अलग व्याख्याएँ हो सकती हैं।'
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