समाजवादी पार्टी ने संसद में इस बिल का विरोध करने का फैसला किया है।
सामाजिक और राजनीतिक विश्लेषक, शिक्षाविद तक सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं।
जाट संगठन और खाप सबसे ज्यादा विरोध में
पश्चिमी यूपी से लेकर हरियाणा और राजस्थान की जाट बेल्ट में इसका सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है।
पश्चिमी यूपी की गठवाला खाप के चौधरी श्याम सिंह ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इससे महिला विरोधी अपराध बढ़ेंगे।
समाजवादी पार्टी ने संसद में इस संबंध में प्रस्तावित संशोधन विधेयक का विरोध करने का फैसला किया है।
हरियाणा में पंचायत
हरियाणा के चरखी दादरी में 2 जनवरी को कितलाना टोल प्लाजा पर सर्व खाप महापंचायत बुलाई गई है। जिसमें इस मुद्दे पर विचार होगा।
क्षेत्र के निर्दलीय जाट विधायक सोमवीर सांगवान ने कहा कि सरकार को लड़कों की शादी लायक उम्र फिर 25 वर्ष कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि खाप महापंचायत में जो भी फैसला होगा, हम उसे सरकार तक पहुंचा देंगे।
विधायक सांगवान ने कहा कि इसी महापंचायत में प्रेम विवाह पर रोक लगाने, माता-पिता की मर्जी के बिना विवाह न होने देने और अंतरजातीय विवाह के संबंध में प्रस्ताव पारित होंगे।
हरियाणा में तो 2012 से ही जाटों की खाप पंचायतें लड़कियों की शादी की उम्र 16 साल और लड़कों की उम्र 18 करने की मांग कर रही हैं। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अखिल भारतीय जाट महासभा ने हरियाणा की खापों की इस मांग का समर्थन किया था।
उस समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हरियाणा के खापों के फैसले का विरोध किया था, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने समर्थन किया था। चौटाला खुद भी जाट हैं।
सपा करेगी विरोध
समाजवादी पार्टी ने संसद में इस संबंध में प्रस्तावित संशोधन विधेयक का विरोध करने का फैसला किया है।
सपा सांसद शफीकुर्ररहमान बर्क ने शुक्रवार को कहा कि भारत एक गरीब देश है। हर गरीब आदमी अपनी बेटी की शादी जल्द से जल्द कर देना चाहता है। मैं संसद में इस संशोधन विधेयक का समर्थन नहीं करूंगा। उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया ने इस संबंध में उनके बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किया है। वो हमेशा से ऐसे विधेयक के विरोध में रहे हैं।
सपा ने बहुत सोच समझकर इसके विरोध का फैसला किया है। दरअसल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उसका जयंत चौधरी की पार्टी रालोद से चुनावी गठबंधन है।
रालोद असलियत में जाट समर्थित पार्टी है। वो जाट खापों के फैसले के विरोध में नहीं जा सकती है। यही स्थिति सपा की भी है। वो भला जाटों को क्यों नाराज करना चाहेगी।
क्या कहते हैं सामाजिक चिन्तक
सामाजिक और राजनीतिक चिन्तक अपूर्वानंद का कहना है कि सरकार असली मुद्दों से भाग रही है और इधर-उधर के मुद्दे ला रही है। आखिर इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय नियमों से आगे जाने की जरूरत ही क्या है।
उन्होंने महिला अधिकारों पर काम करने वाली प्रोफेसर मैरी जॉन के हवाले से बताया कि शादी की उम्र बढ़ाने का आइडिया क्यों गलत है।
अपूर्वानंद प्रो. मैरी जॉन के हवाले से लिखते हैं - सबसे अच्छा जवाब शायद इस तरह होगा: शादी की उम्र बढ़ाने से मातृत्व की उम्र बढ़ जाएगी, और इस तरह मां और बच्चे के स्वस्थ होने की संभावना बढ़ जाएगी। इससे प्रजनन दर भी कम होगी। लेकिन यह आंशिक सत्य पर आधारित है जो खतरनाक रूप से भ्रामक भी है।
उनकी बातों से लगता है कि दरअसल गरीब परिवारों की महिलाओं को इस प्रस्तावित कानून के नतीजे ज्यादा भुगतने होंगे।
वह मैरी जॉन के हवाले से कहते हैं - अगर गरीब महिलाएं गरीब और कुपोषित बनी रहीं, तो उनकी शादी की उम्र कुछ साल बढ़ाने से बहुत कम बदलाव आएगा। जब वे 21 साल की उम्र में शादी करेंगे तो बहुत सी ऐसी ही समस्याएं फिर से आएंगी। सावधानीपूर्वक जमा किए गए अलग-अलग आंकड़ों और विश्लेषणों द्वारा इस तथ्य की पुष्टि की जाती है।
अपूर्वानंद कहते हैं कि और भी बहुत कुछ है, सरकार पहले उन्हें तो हल करे।
बहुत साफ है कि अपूर्वानंद और प्रोफेसर मैरी जॉन जिन बातों को कह रहे हैं, वही बात खाप पंचायत अलग तरीके से कह रही है। बड़ा सवाल यही है कि जब तक निरक्षरता का आंकड़ा बड़ा रहेगा, तब तक आप ऐसे सुधार नहीं कर सकते।
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