केंद्र सरकार के नए डिजिटल नियमों के पालन को लेकर लंबे वक़्त तक आनाकानी करने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्विटर ने आख़िरकार सरकार की बात मान ली है। ट्विटर ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि उसने सभी पदों पर अफ़सरों की स्थायी तौर पर नियुक्ति कर दी है।
केंद्र सरकार के नए नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों के लिए यह ज़रूरी है कि वे चीफ़ कम्प्लायेंस अफ़सर, नोडल कांटेक्ट अफ़सर और रेजिडेंट ग्रीवांस अफ़सर के पद पर भारत के ही रहने वाले किसी शख़्स को नियुक्त करें।
केंद्र सरकार ने कहा था कि जिन सोशल मीडिया कंपनियों के 50 लाख यूजर्स हैं, उन्हें इन पदों पर नियुक्ति करनी ही होगी और ट्विटर को भी ये नियम मानने होंगे।
हालांकि सुनवाई के दौरान अदालत ने ट्विटर के वकील से कहा कि कंपनी की ओर से अदालत में इस बारे में शपथ पत्र दाख़िल नहीं किया गया है और वह इसे रिकॉर्ड में लेकर आए। ट्विटर ने बताया कि 4 अगस्त को इन पदों पर नियुक्तियां कर दी गई हैं। इससे पिछली सुनवाइयों में दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्विटर के रूख़ पर नाराज़गी जताई थी।
दर्ज हुई थीं एफ़आईआर
नए डिजिटल नियमों को नहीं मानने के कारण ट्विटर को मध्यस्थता के तौर पर मिली सुरक्षा ख़त्म हो गई थी और आईटी एक्ट, 2000 में धारा 79 के तहत मिलने वाली छूट वापस ले ली गई थी। इसके बाद उसके ख़िलाफ़ कुछ मामलों में धड़ाथड़ एफ़आईआर दर्ज की गई थीं।
ग़ाज़ियाबाद में बुजुर्ग की पिटाई के मामले और जम्मू और कश्मीर को अलग देश दिखाने पर ट्विटर इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की गई थी।
गूगल, फ़ेसबुक और वाट्सऐप ने इन डिजिटल नियमों के मुताबिक़, तमाम पदों पर अफ़सरों को नियुक्त करने के लिए सहमति दे दी थी लेकिन ट्विटर इसके लिए तैयार नहीं हुआ था। ट्विटर ने हालांकि एक आउटसाइड कंसल्टेंट के नाम का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा था लेकिन केंद्र ने इसे ठुकरा दिया था और कहा था कि यह उसकी गाइडलाइंस के विपरीत है।
अपनी राय बतायें