मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुसलमानों से कहा है कि वे समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) मुद्दे को तूल न दें। इस पर किसी तरह के प्रदर्शन वगैरह की जरूरत नहीं है।
बोर्ड की रविवार को लखनऊ में बैठक के बाद यह सलाह जारी की गई है। उसका कहना है कि इस प्रस्तावित कानून से सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, बल्कि हिन्दुओं के तमाम समुदाय भी प्रभावित होंगे। हिन्दुओं के तमाम समुदाय खुद इस प्रस्तावित कानून के खिलाफ हैं। बोर्ड की कल हुई बैठक की अध्यक्षता मौलाना राबे हसन नदवी ने की।
सूत्रों के मुताबिक बोर्ड के अधिकतर सदस्यों का कहना था कि इस मुद्दे पर उन हिन्दू समुदायों की प्रतिक्रिया को देखना चाहिए कि आखिर वे इस मुद्दे पर क्या करते हैं। सदस्य इस बात पर एकमत थे कि इस पर शाहीनबाग जैसा आंदोन खड़ा करने की हिमाकत न की जाए। हिजाब के मुद्दे पर हाईकोर्ट के फैसले और सरकार के रवैए पर चिन्ता जताई गई। बोर्ड के सदस्यों ने कहा कि संविधान ने देश के हर नागरिक को जो आजादी दे रखी है, हाईकोर्ट का फैसला उसकी भावना के विपरीत है। इसीलिए बोर्ड ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है।
दरअसल, सोशल मीडिया के जरिए तमाम मुस्लिम बोर्ड से सवाल कर रहे थे कि आखिर समान नागरिक संहिता पर बोर्ड का रुख क्या है और आगे इस मुद्दे पर मुसलमानों को क्या करना चाहिए। लोगों ने बोर्ड पर आरोप लगाया था कि वो सही तरीके से मुसलमानों को गाइड नहीं करता है। उसे अपनी सक्रियता बढ़ाना होगी।
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