जाति जनगणना पर फिर से मोदी सरकार का रूख एकदम साफ़ हो गया है। वह इसके पक्ष में नहीं है। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दो टूक कह दिया है कि जाति जनगणना नहीं हो सकती है क्योंकि यह व्यावहारिक नहीं है। सरकार ने कहा है कि जनगणना के दायरे से एससी-एसटी के अलावा किसी भी अन्य जाति की जानकारी जारी नहीं करना एक समझदारी वाला नीतिगत निर्णय है। हालाँकि सरकार ने पहले भी ऐसा जवाब दिया था, लेकिन बाद में बीच-बीच में बीजेपी नेताओं ने ऐसे बयान दिये कि लगने लगा कि शायद दबाव में बीजेपी जाति जनगणना पर अपनी राय बदल ले! बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने कह दिया था कि बीजेपी जाति जनगणना की विरोधी नहीं है। हाल ही में जाति जनगणना की मांग के लिए प्रधानमंत्री से मिलने वाले बिहार के एक प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी नेता भी शामिल थे।
भुलावे में न रहें, मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से भी कह दिया- जाति जनगणना नहीं होगी
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- 24 Sep, 2021
जाति जनगणना पर विपक्षी दलों व अपने ही नेताओं के दबाव के बाद भी बीजेपी अपनी राय बदलने को तैयार क्यों नहीं है? जानिए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के सामने क्या दलील रखी? क्या जेडीयू, अपना दल जैसे बीजेपी के सहयोगी दल शांत बैठेंगे?

लेकिन इस सबके बावजूद केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने 2021 की जनगणना में अन्य पिछड़ी जातियों की गणना अलग से नहीं करने का फ़ैसला किया है। इसने इसके पीछे यह भी कारण दिया है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जातियों की गणना प्रशासनिक रूप से बेहद जटिल होगी और यह पूरी या सटीक जानकारी नहीं दे सकती है।