राज्यसभा में पूछे गये एक सवाल के जवाब में मोदी सरकार ने स्वीकार किया कि केंद्र सरकार की प्रमुख जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी कानून (पीएमएलए)  के तहत जितने भी मामले 2019 के बाद दर्ज किये उनमें 5% से भी कम मामलों में सजा सुनाई गई। यानी ईडी के अधिकांश मामले अदालतों में धराशायी हो गये। बार-बार इस बात की पुष्टि हुई कि ईडी सिर्फ राजनीतिक बदला लेने की भावना से ऐसे केस दर्ज करती रही है। हालांकि ईडी ने हमेशा ऐसे राजनीतिक दबाव में काम करने से इंकार किया है। लेकिन सच्चाई कहां छिपती है।

राज्यसभा में कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने इस संबंध में सवाल किया था। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने जवाब में कहा कि पीएमएलए के तहत दर्ज 911 मामलों में से केवल 42 (4.6%) मामलों में सजा हुई है, जबकि केवल 257 मामले (28%) ट्रायल तक पहुंच सके। ऐसे सभी मामले 1 जनवरी 2019 से 21 अक्टूबर 2024 के बीच के हैं।