loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
57
एनडीए
23
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
230
एमवीए
51
अन्य
7

चुनाव में दिग्गज

हेमंत सोरेन
जेएमएम - बरहेट

आगे

पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व

आगे

सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं दक्षिण भारत के कई प्रोजेक्ट गुजरात भेजे गएः रिपोर्ट

केंद्र में मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से प्रमुख निवेश परियोजनाओं में बदलाव हुए हैं। ज्यादातर दक्षिणी राज्यों जैसे तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र से गुजरात में कई प्रोजेक्ट ट्रांसफर किए गए। न्यूज मिनट की एक खोजी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। विपक्ष पहले से ही महाराष्ट्र के बड़े प्रोजेक्ट को गुजरात भेजे जाने का आरोप लगा रहा है।

इस रिपोर्ट में अन्य राज्यों के लिए शुरू किए गए अपेक्षाकृत बड़े प्रोजेक्ट को गुजरात में भेजनने के विभिन्न मामलों का खुलासा किया गया है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य भी है। जहां वो लंबे समय तक मुख्यमंत्री भी रहे।

ताजा ख़बरें

इसका एक खास उदाहरण अमेरिकी सेमीकंडक्टर फर्म का है। यह अमेरिकी कंपनी शुरू से ही 2022 में चेन्नई में इक्विटी निवेश स्थापित करने में रुचि रखती थी। हालांकि, जब कंपनी के अधिकारी केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से इस सिलसिले में मिले तो उन्हें गुजरात ले जाया गया। बाद में इसे उस कंपनी ने "हेलीकॉप्टर कूटनीति" कहा। गुजरात में निवेशकों को लुभाने के लिए सरकार ने इस तरह की रणनीति कई मौकों पर अपनाई। विदेशी कंपनियां आवेदन दक्षिण भारत के राज्यों के लिए करती थीं लेकिन उन्हें गुजरात भेज दिया जाता था।

प्रोजेक्ट दक्षिण भारत से गुजरात भेजने की बात कोई गुपचुप नहीं है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने आरोप लगाया कि उनके राज्य के लिए नियोजित 6,000 करोड़ रुपये के निवेश को गुजरात में ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया था। लेकिन स्टालिन के इस आरोप को मीडिया में जगह नहीं मिली और न टीवी पर डिबेट हुई। इसलिए जनता के सामने कभी यह खुलासा हुआ ही नहीं कि गुजरात के लिए तमिलनाडु से सौतेला व्यवहार केंद्र की मोदी सरकार ने किया।

इसी तरह, तेलंगाना के पूर्व आईटी मंत्री केटी रामा राव (केटीआर) और कर्नाटक के मौजूदा आईटी मंत्री प्रियंक खड़गे ने केंद्र सरकार पर कई कंपनियों पर अपने प्रोजेक्ट को ट्रांसफर करने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया है। महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन के नेताओं ने हाल ही में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ ऐसा ही आरोप लगाया। एमवीए ने कहा कि टाटा एयरबस जैसे बड़े प्रोजेक्ट को जानबूझकर उनके राज्य से गुजरात में ट्रांसफर कर दिया गया था।

प्रोजेक्ट ट्रांसफर को सुविधाजनक बनाने के लिए मोदी सरकार ने कई तरह की रणनीतियों की पहचान की। यानी जिसके जरिए विदेशी कंपनियों या बड़ी कंपनियों को गुजरात आने के लिए लुभाया गया। चार प्रमुख प्वाइंट्सः

  • पर्याप्त पूंजीगत सब्सिडी: केंद्र सरकार कई तरह की वित्तीय सब्सिडी देती है लेकिन वो इस तरह से बना दी जाती हैं जो गुजरात के लिए तो बहुत आकर्षक होंगी लेकिन वही वित्तीय सब्सिडी महाराष्ट्र के लिए उस कंपनी को सही नहीं लगेगी। मसलन जमीन खरीदने पर जो फायदा गुजरात में किसी कंपनी को केंद्र और राज्य सरकार मिलकर देंगे, वही फायदा तमिलनाडु में नहीं मिलेगा। क्योंकि सब्सिडी का डिजाइन ही उस तरह का है।
  • आयात शुल्क कम करने का आकर्षण: ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रवेश पाने के लिए कंपनियों को उचित व्यापार स्थितियों का आश्वासन दिया जाता है। तमाम नियमों के तहत जो इंपोर्ट ड्यूटी किसी कंपनी को महाराष्ट्र में देना पड़ेगी, वही गुजरात में नाममात्र की हो सकती है।
  • सरकारी खरीद का भरोसा: मैन्यूफैक्चरिंग कारोबार को सरकारी एजेंसी से खरीद कॉन्ट्रैक्ट का भरोसा दिया जाता है। यानी अगर आप साइकल बनाने का कारखाना लगाने जा रहे हैं तो गुजरात सरकार आपकी कंपनी से सालाना एक लाख साइकल खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट कर सकती है। जिस भी कंपनी को ऐसा आश्वासन मिलेगा, वो किसी और राज्य की तरफ क्यों देखेगी, जहां की सरकार उसकी एक भी साइकल नहीं खरीदने वाली है। 

  • निवेश स्थलों को बढ़ावा देना: गुजरात की धोलेरा और गिफ्ट सिटी जैसे अविकसित क्षेत्रों में निवेश के लिए भारत सरकार के दूतावास बाहर इतना प्रचार कर देंगे कि विदेशी निवेशकर पहले गुजरात का रुख करेगा। लेकिन वही प्रचार पुणे या पटना के लिए नहीं किया जाता है। धोलेरा और गिफ्ट सिटी के बारे में जितना विदेशी निवेशक जानते हैं, उतना भारत के निवेशक नहीं जानते हैं। 

ऐसी रणनीति न केवल केंद्र-राज्य संबंधों को कमजोर करती है बल्कि विकास के लिए संसाधनों को आकर्षित करने की दौड़ में संतुलन भी नहीं रख पाती। ऐसी रणनीतियों से साफ दिख जाता है कि केंद्र कुछ राज्यों के पक्ष में झुका है और कुछ राज्यों को वो ऐसी रणनीतियों के दम पर झुकाने को मजबूर करती है। निवेश आवंटन पर ऐसी बहस भारत के आर्थिक परिदृश्य में क्षेत्रीय गतिशीलता की जटिलताओं पर रोशनी डालती है।

देश से और खबरें
कुछ राज्यों के मामले तो खबर तक नहीं बन पाते हैं। कार बनाने वाली मारुति कंपनी के प्रोजेक्ट हरियाणा में गुड़गांव के पास मानेसर में चल रहे हैं। लेकिन जैसे ही दूसरा प्लांट लगाने की नौबत आई, उस प्रोजेक्ट को अहमदाबाद भेज दिया गया। हरियाणा विरोध तक नहीं कर सका, क्योंकि हरियाणा में 2016 में भाजपा सरकार ही थी। इसी तरह जनवरी 2024 में जब वायब्रेंट गुजरात समिट हुआ तो मारुति और उसके जापानी पार्टनर सुजुकी ने घोषणा की कि वो मारुति की इलेक्ट्रिक कार बनाने का दूसरा प्लांट भी गुजरात में लगाएगी। कंपनी ने कहा कि जिस तरह से पीएम मोदी विकसित भारत का निर्माण कर रहे हैं, उसके लिए इस प्लांट का गुजरात में लगना जरूरी है। हरियाणा को फिर चुप रहना पड़ा। जबकि मारुति भारत की फ्लैगशिप कंपनी अपने हरियाणा प्लांट की वजह से बनी। लेकिन मारुति अब मानेसर प्लांट का जिक्र नहीं करती।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें