इस साल सितंबर में सऊदी अरब सरकार की स्वामित्व वाली अरामको रिफ़ाइनरी में हुए ड्रोन हमले के बाद खलबली मची। दुनिया भर में चिंताएँ तेज़ हुईं कि तेल की सप्लाई में क्या रुकावटें पैदा होंगी? सूत्रों के मुताबिक़ सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री ने अपने भारतीय समकक्ष के साथ फ़ोन पर बात की और आश्वस्त किया कि भारत को तेल निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ख़ुद सल्तनत के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने मामले में निजी रूप से निगरानी रखी। दोनों ओर कूटनीतिक संपर्क रहा और नई दिल्ली ने चैन की साँस ली। भारत की ज़रूरतों के तेल की 18 फ़ीसदी और एलपीजी की लगभग 30 प्रतिशत पूर्ति सऊदी से आयात के ज़रिए होती है। अमेरिकी प्रतिबंधों की तलवार की वजह से पारंपरिक मित्र ईरान से आज भारत की तेल की ख़रीदारी शून्य हो चुकी है, जबकि कुछ साल पहले तक यह लगभग 20 फ़ीसदी थी। ऐसे में ड्रोन हमले के बावजूद सऊदी के शाही परिवार की तरफ़ से तेल सप्लाई बाधित न होने के भरोसे के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को क्राउन प्रिंस का शुक्रिया अदा किया।
तेल निर्यात से अनुच्छेद 370 तक, भारत पर क्यों मेहरबान है सऊदी अरब?
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- 4 Nov, 2019

रियाद दौरे में प्रधानमंत्री मोदी की क्राउन प्रिंस से मुलाक़ात हुई। क्राउन प्रिंस बदलती आर्थिक स्थिति और मध्य-पूर्व में सियासी उथल-पुथल के मद्देनज़र सल्तनत की अर्थव्यवस्था की सिर्फ़ तेल पर निर्भरता कम कर उसका विस्तार करना चाहते हैं। उनकी प्राथमिकता है पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी और इनोवेशन जैसे क्षेत्र ताकि मुल्क के दरवाज़े विदेशी पर्यटकों और निवेश के लिए खुल सके।
आज इस क्षेत्र में हालात बदल रहे हैं। सऊदी की ज़्यादातर आबादी आज कम उम्र की है। एमबीएस के नाम से मशहूर क्राउन प्रिंस बदलती आर्थिक स्थिति और मध्य-पूर्व में सियासी उथल-पुथल के मद्देनज़र सल्तनत की अर्थव्यवस्था की सिर्फ़ तेल पर निर्भरता कम कर उसका विस्तार करना चाहते हैं।