वकील ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि “4 दिसंबर 2024 को, मैंने 22ए, विंडसर प्लेस, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली में आर्ट गैलरी में प्रदर्शित आपत्तिजनक पेंटिंग्स की तस्वीरें क्लिक कीं और एमएफ हुसैन के खिलाफ पिछली एफआईआर पर छानबीन करने के बाद 9 दिसंबर 2024 को पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। हालाँकि, 10 दिसंबर 2024 को जांच अधिकारी के साथ दौरे के दौरान, पेंटिंग्स को हटा दिया गया और झूठा दावा किया गया कि उन पेटिंग्स को कभी प्रदर्शित नहीं किया गया था।"
जांच अधिकारी को संबंधित पेंटिंग्स को जब्त करने का निर्देश देते हुए, पटियाला हाउस कोर्ट के जज साहिल मोंगा ने कहा, “शिकायतकर्ता ने पेंटिंग को जब्त करने के लिए आईओ (जांच अधिकारी) को निर्देश देने के लिए एक अर्जी दी है। तमाम तथ्यों और हालात को देखते हुए पुलिस के जांच अधिकारी को उक्त पेंटिंग को जब्त करने और रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया जाता है।
कलाकार हुसैन के खिलाफ भारत में कई जगह दक्षिणपंथी संगठनों ने एफआईआर दर्ज कराई। उनकी प्रदर्शनियों पर हमले हुए। 2006 में हुसैन ने भारत छोड़ दिया। वो कतर पहुंचे। कतर ने उन्हें वहां की नागरिकता पूरे सम्मान के साथ दे दी। उन्हें वहां घर दिया गया। कतर सरकार ने उनकी कई पेंटिंग्स को खरीद लिया। लेकिन भारत को हुसैन नहीं भूले। इसी गम में वो बीमार पड़ गये। 9 जून 2011 को लंदन में इलाज के दौरान 95 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उन्हें 10 जून 2011 को लंदन के कब्रिस्तान में दफन किया गया।
एमएफ हुसैन ने उस समय कहा था- "जब संघ परिवार के संगठनों ने मुझे निशाना बनाया, तो सभी चुप रहे। राजनीतिक नेतृत्व, कलाकार या बुद्धिजीवियों सहित कोई भी मेरे लिए बोलने के लिए आगे नहीं आया। लेकिन मैं इस तथ्य को जानता हूं कि भारत के 90 प्रतिशत लोग मुझसे प्यार करते हैं। वे मेरे साथ हैं।" हुसैन ने कहा, "कुछ राजनेताओं समेत केवल 10 फीसदी लोग ही मेरे खिलाफ हैं।"
हुसैन के खिलाफ देश भर में देवी-देवताओं के चित्रों के लिए दर्जनों मुकदमे हैं, जिन्हें कुछ हिंदू अपवित्र मानते हैं। हालांकि कभी उन्होंने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को देवी दुर्गा के रूप में भी चित्रित किया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें मुकदमों की कोई चिंता नहीं है, क्योंकि दुनिया भर के लोग उनसे प्यार करते हैं। उन्होंने कहा था- "भारत की मौजूदा सरकारें मेरी रक्षा नहीं कर सकीं। इसलिए, ऐसे देश में रहना मेरे लिए बहुत मुश्किल है। राजनेताओं की नज़र केवल वोटों पर है।
- उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनके खिलाफ दर्ज मामले एक कलाकार की आत्म-अभिव्यक्ति के खिलाफ हैं।वह तो किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते हैं। न कोई इरादा है। उन्होंने कहा, "मैंने केवल कला के जरिये अपनी आत्मा की रचनात्मकता को व्यक्त किया है। कला की भाषा यूनिवर्सल (सार्वभौमिक) भाषा है। जो लोग इसे सभी नजरिये से परे प्यार करते हैं, वे ही मेरी ताकत हैं।"
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