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महान पेंटर एमएफ हुसैन

दिल्ली आर्ट गैलरी से एमएफ हुसैन की 'आपत्तिजनक' पेंटिंग जब्त करने का आदेश

दिल्ली की एक अदालत ने पद्म विभूषण से सम्मानित और प्रसिद्ध कलाकार दिवंगत मकबूल फ़िदा हुसैन की दिल्ली आर्ट गैलरी में प्रदर्शित दो पेंटिंग को जब्त करने का आदेश दिया है। अदालत का यह फैसला मंगलवार 21 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट की वकील अमिता सचदेवा की शिकायत के बाद आया, जिन्होंने हुसैन द्वारा बनाई गई हिंदू देवताओं की पेंटिंग को 'अपमानजनक' बताया है।

वकील अमिता सचदेवा ने अदालत से आर्ट गैलरी में 4 दिसंबर और 6-10 दिसंबर के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने का अनुरोध किया था। इसी प्रदर्शनी में हुसैन की पेंटिंग प्रदर्शित की गई थी। दिल्ली की अदालत ने 18 दिसंबर को फुटेज पेश करने और सुरक्षित करने का निर्देश दिया था। 

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वकील ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि “4 दिसंबर 2024 को, मैंने 22ए, विंडसर प्लेस, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली में आर्ट गैलरी में प्रदर्शित आपत्तिजनक पेंटिंग्स की तस्वीरें क्लिक कीं और एमएफ हुसैन के खिलाफ पिछली एफआईआर पर छानबीन करने के बाद 9 दिसंबर 2024 को पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। हालाँकि, 10 दिसंबर 2024 को जांच अधिकारी के साथ दौरे के दौरान, पेंटिंग्स को हटा दिया गया और झूठा दावा किया गया कि उन पेटिंग्स को कभी प्रदर्शित नहीं किया गया था।"

जांच अधिकारी को संबंधित पेंटिंग्स को जब्त करने का निर्देश देते हुए, पटियाला हाउस कोर्ट के जज साहिल मोंगा ने कहा, “शिकायतकर्ता ने पेंटिंग को जब्त करने के लिए आईओ (जांच अधिकारी) को निर्देश देने के लिए एक अर्जी दी है। तमाम तथ्यों और हालात को देखते हुए पुलिस के जांच अधिकारी को उक्त पेंटिंग को जब्त करने और रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया जाता है।

दिल्ली आर्ट गैलरी ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “हाल ही में एक प्रदर्शनी में एम एफ हुसैन की कुछ चुनिंदा पेंटिंग्स को प्रदर्शित किया गया था। हम स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और वकील से सलाह ले रहे हैं। हम अब तक किसी भी अदालती कार्यवाही में पक्षकार नहीं हैं और घटनाक्रम पर नज़र रखने की कोशिश कर रहे हैं।

कलाकार हुसैन के खिलाफ भारत में कई जगह दक्षिणपंथी संगठनों ने एफआईआर दर्ज कराई। उनकी प्रदर्शनियों पर हमले हुए। 2006 में हुसैन ने भारत छोड़ दिया। वो कतर पहुंचे। कतर ने उन्हें वहां की नागरिकता पूरे सम्मान के साथ दे दी। उन्हें वहां घर दिया गया। कतर सरकार ने उनकी कई पेंटिंग्स को खरीद लिया। लेकिन भारत को हुसैन नहीं भूले। इसी गम में वो बीमार पड़ गये। 9 जून 2011 को लंदन में इलाज के दौरान 95 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उन्हें 10 जून 2011 को लंदन के कब्रिस्तान में दफन किया गया।
हुसैन का 2010 का इंटरव्यू आज भी चर्चा में रहता है। हुसैन ने केरल स्थित मलयालम दैनिक मध्यमम के दोहा संस्करण को दिये गये इंटरव्यू में कहा था- "मैं अब भी भारत से प्यार करता हूं। लेकिन भारत को मेरी जरूरत नहीं है। मैं दिल में गहरी पीड़ा के साथ यह कह रहा हूं।" उन्होंने कहा था- "भारत मेरी मातृभूमि है। मैं अपनी मातृभूमि से नफरत नहीं कर सकता। लेकिन भारत ने मुझे अस्वीकार कर दिया। फिर मुझे भारत में क्यों रहना चाहिए?" 

एमएफ हुसैन ने उस समय कहा था- "जब संघ परिवार के संगठनों ने मुझे निशाना बनाया, तो सभी चुप रहे। राजनीतिक नेतृत्व, कलाकार या बुद्धिजीवियों सहित कोई भी मेरे लिए बोलने के लिए आगे नहीं आया। लेकिन मैं इस तथ्य को जानता हूं कि भारत के 90 प्रतिशत लोग मुझसे प्यार करते हैं। वे मेरे साथ हैं।" हुसैन ने कहा, "कुछ राजनेताओं समेत केवल 10 फीसदी लोग ही मेरे खिलाफ हैं।"

हुसैन के खिलाफ देश भर में देवी-देवताओं के चित्रों के लिए दर्जनों मुकदमे हैं, जिन्हें कुछ हिंदू अपवित्र मानते हैं। हालांकि कभी उन्होंने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को देवी दुर्गा के रूप में भी चित्रित किया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें मुकदमों की कोई चिंता नहीं है, क्योंकि दुनिया भर के लोग उनसे प्यार करते हैं। उन्होंने कहा था-  "भारत की मौजूदा सरकारें मेरी रक्षा नहीं कर सकीं। इसलिए, ऐसे देश में रहना मेरे लिए बहुत मुश्किल है। राजनेताओं की नज़र केवल वोटों पर है। 

उसी इंटरव्यू में हुसैन ने आगे कहा था- अब, वे मुझे वापस आने के लिए कह रहे हैं। मैं निर्वासन में था...मेरे लिए बोलने वाला कोई नहीं था। किसी सरकार ने मुझे वापस नहीं बुलाया। अब एक देश द्वारा मुझे नागरिकता की पेशकश के बाद वे मुझे वापस लौटने के लिए कह रहे हैं। मैं कैसे भरोसा कर सकता हूं उस राजनीतिक नेतृत्व पर, जिसने मेरी रक्षा करने से इनकार कर दिया?" उन्होंने सवाल किया था-  "क्या इसकी कोई गारंटी है कि मुझे भारत में सुरक्षा दी जाएगी?"
  • उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनके खिलाफ दर्ज मामले एक कलाकार की आत्म-अभिव्यक्ति के खिलाफ हैं।वह तो किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते हैं। न कोई इरादा है। उन्होंने कहा, "मैंने केवल कला के जरिये अपनी आत्मा की रचनात्मकता को व्यक्त किया है। कला की भाषा यूनिवर्सल (सार्वभौमिक) भाषा है। जो लोग इसे सभी नजरिये से परे प्यार करते हैं, वे ही मेरी ताकत हैं।"
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उन्होंने कहा था कि "कतर में मुझे पूरी आजादी है। अब कतर मेरी जगह है। यहां कोई भी मेरी अभिव्यक्ति की आजादी पर नियंत्रण नहीं रखता। मैं यहां बहुत खुश हूं।" उन्होंने उसी इंटरव्यू में इच्छा जताई थी कि अगर उन्हें मौका दिया गया तो वो भारत आना चाहेंगे। लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी, 2011 में उनका निधन हो गया। यह विडम्बना है कि उनके निधन के बाद भी एफआईआर दर्ज कराई जा रही है। एक कलाकार की पेंटिंग्स को हिन्दू-मुसलमान के नजरिये से देखा जा रहा है।

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क़मर वहीद नक़वी
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