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कुणाल को मंत्रियों की सीधी धमकी, सोशल मीडिया पर भारी समर्थन, फिर तोड़फोड़

मुंबई में एक स्टैंड-अप शो के दौरान महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर अपने विवादास्पद तंज के लिए कुणाल कामरा को महाराष्ट्र सरकार के मंत्री सीधे धमकी दे रहे हैं। शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के मंत्री गुलाब रघुनाथ पाटिल ने मंगलवार को चेतावनी दी कि अगर कुणाल कामरा माफी नहीं मांगते हैं, तो "हम उनसे अपने अंदाज में बात करेंगे।" गुलाब रघुनाथ ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, "शिवसेना उन्हें नहीं छोड़ेगी... हम यह अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे... अगर वह माफी नहीं मांगते हैं, तो कभी तो बाहर आएगा ना, कहां छुपेगा? शिवसेना अपना असली रूप दिखाएगी।"

गृह राज्य मंत्री योगेश रामदास कदम ने भी मंगलवार को कहा कि कुणाल कामरा को उनके व्यवहार के लिए दंडित किया जाएगा, उन्होंने उनके तंज को "अस्वीकार्य" बताया। "अगर आप सुप्रीम कोर्ट, भारत के प्रधानमंत्री, हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने जा रहे हैं, तो यह बर्दाश्त करने योग्य नहीं है। आप महाराष्ट्र या भारत में इस तरह का व्यवहार नहीं कर सकते... हम कॉमेडी का आनंद लेते हैं, लेकिन यह ऐसी कॉमेडी नहीं है जिसे महाराष्ट्र में बर्दाश्त किया जाएगा।"

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संसद में उठा मामला

कुणाल कामरा विवाद मंगलवार को संसद तक पहुंच गया। शिवसेना सांसद धैर्यशील संभाजीराव माने ने कंटेंट के लिए कुछ नियम और नफरत फैलाने वाले भाषणों को बढ़ावा देने वाले प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। लोकसभा में चर्चा के दौरान माने ने कहा, 'कॉमेडी के नाम पर कुछ लोग अपनी राजनीतिक दुकानें खोलने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले दो दिनों से आपने देखा होगा कि एक जोकर उपमुख्यमंत्री के खिलाफ बोल रहा है। इस सदन के माध्यम से मैं कहना चाहूंगा कि कुछ नियम होने चाहिए। किसी व्यक्ति पर टिप्पणी करने के बजाय अगर आप नीतियों पर बोलेंगे तो यह स्वागत योग्य होगा। यहां से कोई व्यक्ति स्क्रिप्ट लिखता है और कॉमेडियन मंच पर जाकर उसे बोलता है। मैं मांग करना चाहूंगा कि ऐसे प्लेटफॉर्म बंद होने चाहिए।'

सोमवार को कुणाल कामरा ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर एक बयान जारी कर कहा कि वह अपने तंज के लिए “माफी” नहीं मांगेंगे।

सोशल मीडिया इस वक़्त कुणाल कामरा के रंग में रंगा हुआ है। कोई उनके सुरक्षित रहने की कामना कर रहा है। किसी ने उन्हें पैसों को लेकर बेफिक्र रहने की सलाह दी है और कहा है, लोग आपके पीछे पड़ेंगे। इससे निबटने के लिए हम आपके बिल भरेंगे। खुश रहिए दोस्त। इसके साथ उस यूजर ने कुणाल कामरा को सौ डॉलर यानि भारतीय मुद्रा में लगभग साढ़े आठ हज़ार की सहयोग राशि भेज दी। यह यूजर अकेला नहीं है, कई लोग हैं जिन्हें कुणाल कामरा की फिक्र है। मुंबई में उनके शो के बाद  उठे हँगामे ने देश में बोलने की आजादी पर एक पूरी बहस खड़ी कर दी है।
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“तुम उम्मीद हो! मेरी नज़र में क्रांतिकारी हो! सुरक्षित रहना मेरे भाई!” यह कमेन्ट कॉमेडियन कुणाल कामरा के यूट्यूब लिंक पर है। वहाँ ऐसे सैकड़ों कमेन्ट हैं जिन्हें पढ़कर आपकी आँखें भर उठेंगी। 
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर व्यंग्य करने के बाद जिस तरह से कुणाल पर हमले हुए उससे लोगों में भयंकर गुस्सा है। शिवसेना शिंदे गट के लोगों ने शो के बाद स्टूडियो में तोड़फोड़ की। बीएमसी ने स्टूडियो गिरा दिया। कुणाल को तमाम तरह की धमकियाँ दी गईं पर जिस तरह सोशल मीडिया पर लोग उनके समर्थन में आए वह अभूतपूर्व रहा।
कामरा के समर्थन में #StandWithKunal ट्रेंड करने लगा। लोग उनके समर्थन में तरह-तरह की बातें लिख रहे थे। अच्छी दलीलें दे रहे थे। मसलन एक सोशल मीडिया हैंडल ने कुणाल पर सवाल उठाया रहे लोगों के विरोध में लिखा कि “गाली-गलौज कौन कर रहा है?"
  • जो सत्ता के खिलाफ बोल रहा है या वो जो गुंडों से स्टूडियो तुड़वा रहा है?
  • जो सरकार से सवाल कर रहा है या वो जो खुलेआम धमकियां दे रहा है?
  • जो कॉमेडी कर रहा है या वो जो लोकतंत्र का मजाक उड़ा रहा है?” 
वहीं एक अन्य एक्स यूज़र ने फ़्रीडम ऑफ स्पीच का हवाला देते हुए तंज किया। उस यूजर ने लिखा – “अगर कुणाल कामरा की कॉमेडी आपकी भावनाओं को ठेस पहुँचाती है, तो समस्या उनके चुटकुलों में नहीं बल्कि आपकी असहिष्णुता में है। लोकतंत्र में व्यंग्य और आलोचना अपराध नहीं हैं – ये सब एक स्वस्थ समाज के लक्षण हैं।“
इससे भी अधिक हृदय-स्पर्शी मामला यूट्यूब पर था। एक्स और मेटा पर लोग उनके समर्थन में लिख रहे थे। यूट्यूब पर लोग उनकी लाइव स्ट्रीम्स पर 'सुपर चैट' के जरिए भारी मात्रा में पैसा भेज रहे थे। यूट्यूब पर उनके फैंस ने खुलकर उनकी आर्थिक मदद करनी शुरू कर दी। उन्हें सैकड़ों लोगों ने अलग-अलग देशों की मुद्राओं में पैसा भेजा। भारतीय रुपये से लेकर डॉलर, यूरो और पाउंड तक में डोनेशन दिया गया। कुछ दर्शकों ने हज़ारों रुपये तक भेजे। कामरा के इन समर्थकों ने उनकी बोलने या अभिव्यक्त करने की आजादी का खुलकर समर्थन किया है।
कई ट्विटर यूजर्स ने लिखा— "अगर सरकार एक कलाकार को चुप कराने के लिए उसे आर्थिक रूप से कमजोर करने की कोशिश कर रही है, तो जनता उसे और मजबूत बनाएगी।"
गौरतलब है कि यह मामला कुणाल कामरा के कॉमेडी शो के उस हिस्से से उठा था जहां उन्होंने  "दिल तो पागल है" फिल्म के गाने की पैरोडी की थी। महाराष्ट्र की राजनीति का हवाला देते हुए ठाणे के एक राजनीतिक को बिना नाम लिए हुए गद्दार ठहराया था। इसके बाद शिवसेना शिंदे ग्रुप के लोग भड़क गये थे। उनका कहना था कि यह बयान ‘एकनाथ शिंदे’ पर दिया गया था।
इसके बाद शिवसेना (शिंदे गुट) के नेताओं ने कामरा को माफी मांगने का अल्टीमेटम दिया और धमकी दी कि अगर उन्होंने माफी नहीं मांगी, तो उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ेगा। जिसका जवाब कामरा ने यह कहकर दिया कि वे माफी नहीं मांगेंगे और न ही शर्म से छिपेंगे। सोमवार देर रात, इस विवाद पर कुणाल कामरा ने सोशल मीडिया पर लंबा पोस्ट लिखा।
उन्होंने साफ कहा— "मैं माफी नहीं मांगूंगा! मैं इस भीड़ से नहीं डरता हूँ। मैं इस मामले के ठंडा पड़ने तक शर्म से गायब नहीं हो जाऊंगा।" उन्होंने यह भी लिखा कि जो शब्द उन्होंने कहे, वही शब्द महाराष्ट्र के दूसरे उप मुख्यमंत्री अजीत पवार भी एकनाथ शिंदे के लिए कह चुके हैं। कामरा ने शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ताओं की हिंसा पर व्यंग्य करते हुए लिखा— "किसी कॉमेडियन के शब्दों के लिए स्टूडियो पर हमला करना वैसा ही है, जैसे टमाटर ले जा रहे ट्रक को पलट देना, क्योंकि आपको बटर चिकन पसंद नहीं आया।"
हालांकि इस पर शिवसेना शिंदे ग्रुप के नेता एकनाथ शिंदे की प्रतिक्रिया भी आई। उन्होंने उपद्रव मचाने वाले अपनी पार्टी के समर्थकों को बचाते हुए कहा कि  "क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। हर चीज़ की एक सीमा होती है। कामरा सुपारी लेकर कॉमेडी करते हैं।" शिंदे तो उपद्रव की घटनाओं को प्रतिक्रिया बताकर चुप हो गये। लेकिन उनकी पार्टी की तरफ से धमकी देने का सिलसिला जारी है।
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इस ख़बर के लिखे जाने तक कामरा को मुंबई पुलिस ने नोटिस भेज दिया था। साथ ही हैबिटेट स्टूडियो तोड़ने वाले एक शिवसेना शिंदे ग्रुप समर्थक को उनकी गुंडई के लिए कोर्ट ने जमानत दे दी थी। तोड़फोड़ के आरोप में सोमवार को देर शाम की शिंदे गुट के शिवसैनिकों को पकड़ा गया था। लेकिन बीएमसी का दस्ता मंगलवार को स्टूडियो का हिस्सा गिराने के लिए फिर से पहुंच गया।  
रिपोर्टः अणुशक्ति सिंह, संपादनः यूसुफ किरमानी
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क़मर वहीद नक़वी
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