कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो क्या भारत के साथ रिश्ते सुधारने के लिए क्या कुछ करने को तैयार हैं? उन्होंने एक तरफ़ तो कहा है कि कनाडा भारत के साथ उलझना नहीं चाहता है और दूसरी तरफ़ उन्होंने भारत पर आरोपों को दोहराया है। इसके क्या मायने हैं?
ट्रूडो क्या कहना चाहते हैं, इसको समझने के लिए उनके बयान को ध्यान से पढ़िए। उन्होंने अपने द्वारा लगाए गए आरोपों को दोहराते हुए कहा है कि कनाडा इस बहुत गंभीर मामले पर नई दिल्ली के साथ रचनात्मक रूप से काम करना चाहता है। मीडिया को संबोधित करते हुए ट्रूडो ने आरोप लगाया कि भारत ने वियना कन्वेंशन का उल्लंघन किया है क्योंकि नई दिल्ली द्वारा राजनयिक छूट छीनने की धमकी के बाद 40 से अधिक कनाडाई राजनयिकों को भारत से हटाना पड़ा।
निज्जर एक भारतीय आतंकवादी और प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख था। वह 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के एक गुरुद्वारे के बाहर मारा गया था। वह भारत के सबसे वांछित आतंकवादियों में से एक था। उस पर 10 लाख रुपये का नकद इनाम था। हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता के ट्रूडो के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंध गंभीर तनाव में आ गए। भारत ने ट्रूडो के आरोपों को बेतुका और प्रेरित बताकर खारिज कर दिया था।
ट्रूडो ने अब कहा है कि उनका देश हमेशा कानून के शासन के लिए लड़ेगा। उन्होंने कहा कि भारत और निज्जर की हत्या के बारे में कनाडा के दावों की जांच करने के लिए उसने अमेरिका सहित अन्य सहयोगियों से संपर्क किया।
ट्रूडो ने कहा, 'इसके बारे में हमारे नजरिए से सोचें। हमारे पास यह मानने के गंभीर कारण हैं कि कनाडा की धरती पर एक कनाडाई नागरिक की हत्या में भारत सरकार के एजेंट शामिल हो सकते हैं। और भारत की प्रतिक्रिया वियना कन्वेंशन के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन करके कनाडाई राजनयिकों के एक पूरे समूह को बाहर निकालना है। यह दुनिया भर के देशों के लिए चिंता का विषय है।'
ट्रूडो ने कहा, 'अगर कोई देश यह निर्णय ले सकता है कि उसके दूसरे देश के राजनयिक अब सुरक्षित नहीं हैं, तो यह अंतरराष्ट्रीय संबंधों को और अधिक खतरनाक और अधिक गंभीर बनाता है, लेकिन हर कदम पर हमने भारत के साथ रचनात्मक और सकारात्मक रूप से काम करने की कोशिश की है और हम ऐसा करना जारी रखेंगे और इसका मतलब है कि भारत सरकार के राजनयिकों के साथ काम करना जारी रखेंगे।'
एक हफ़्ते पहले ही कनाडा में शीर्ष भारतीय राजनयिक ने कहा था कि आरोप लगाने से काम नहीं चलता है और इसके लिए सबूत होना चाहिए। खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में हत्या के मामले में उन्होंने पूछा था कि आख़िर सबूत कहाँ हैं।
उन्होंने कनाडा से इस आरोप को साबित करने के लिए सबूत देने की मांग की कि कथित तौर पर भारतीय एजेंटों ने ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर को मार डाला था। भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने 'द ग्लोब एंड मेल' को बताया था कि भारत को इस आरोप के समर्थन में कनाडा या उसके सहयोगियों से कोई विश्वसनीय सबूत नहीं मिला है कि जून में निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट शामिल थे।
कनाडाई खुफिया सूत्रों का दावा है कि उन्होंने एक बातचीत को पकड़ा और फाइव आईज (अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से बना एक खुफिया गठबंधन) सहयोगी से खुफिया जानकारी प्राप्त की। इसमें भारतीय एजेंटों को निज्जर की हत्या से जोड़ने वाली जानकारी होने का दावा किया गया। कनाडा ने तब से कई बार दावा किया है कि उसने भारत के साथ सबूत साझा किए हैं और भारत ने हर बार इनकार किया है। इसने कहा है कि ऐसा कोई भी सबूत उसे नहीं मिला है।
कनाडा में खालिस्तान समर्थक समूहों की गतिविधियों को लेकर दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं। जुलाई में कनाडा के कुछ इलाकों में वहां तैनात वरिष्ठ भारतीय राजनयिकों के नाम वाले पोस्टर सामने आने के कुछ दिनों बाद भारत ने कनाडाई दूत को तलब किया था।
भारत के पंजाब के बाहर कनाडा में सिखों की आबादी सबसे अधिक है, और यह देश कई भारत-विरोधी प्रदर्शनों का स्थल रहा है। 10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर मोदी और ट्रूडो के बीच बैठक के बाद भारत ने कड़े शब्दों में एक बयान जारी किया था, 'पीएम मोदी ने कनाडा में चरमपंथी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों को जारी रखने के बारे में हमारी मज़बूत चिंताओं से अवगत कराया। वे अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं, राजनयिक परिसरों को नुक़सान पहुंचा रहे हैं, और कनाडा में भारतीय समुदाय और उनके पूजा स्थलों को धमकी दे रहे हैं।
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