पत्रकार विनोद दुआ की हालत नाजुक है। उन्हें दिल्ली के एक अस्पताल में आईसीयू में दाखिल कराया गया है।
विनोद दुआ की बेटी मल्लिका ने अपने पिता की स्थिति नाजुक होने की पुष्टि करते हुए कहा है कि उनकी इच्छा को देखते हुए उनके और इनवेज़िव इलाज़ नहीं कराया जाएगा।
मल्लिका ने एक बयान में कहा है, "वे अपने शर्तों पर जिए और अब उन्हें अपनी ही शर्तों पर संसार छोड़ने का हक है। कृपया उनके असाधारण जीवन से शांतिपूर्ण व कष्टहीन ढंग से गुजरने के लिए प्रार्थना करें।"
मल्लिका ने इसके साथ ही यह भी कहा है कि जो लोग उन्हें अंतिम विदाई देना चाहते हैं, वे परमानंद अस्पताल आ सकते हैं।
विनोद दुआ 67 साल के हैं और पत्रकारिता की दुनिया एक बड़े नाम हैं। उन्होंने 'एनडीटीवी' और 'दूरदर्शन' के लिए भी काम दिया है।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान विनोद दुआ और उनकी पत्नी को गुरुग्राम के एक अस्पताल में भर्ती किया गया था।
इसके बाद से ही विनोद दुआ की सेहत में लगातार गिरावट देखने को मिली है।
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राजद्रोह का मामला
कुछ महीने पहले ही विनोद दुआ पर लगे राजद्रोह के मामले को अदालत ने खारिज किया था।
एक स्थानीय बीजेपी नेता ने पिछले साल दिल्ली दंगे पर विनोद दुआ के यूट्यूब शो को लेकर देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज कराया था। एफ़आईआर में उनपर फ़ेक न्यूज़ फैलाने, सार्वजनिक उपद्रव फैलाने, मानहानि वाली सामग्री छापने और सार्वजनिक रूप से ग़लत बयान देने का आरोप लगाया गया था। इस एफ़आईआर के ख़िलाफ़ ही विनोद दुआ सुप्रीम कोर्ट में गए थे।
इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उस एफ़आईआर को तो रद्द किया ही, इसके साथ ही विनोद दुआ की उस मांग को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि 10 साल से ज़्यादा अनुभव वाले किसी भी पत्रकार पर तब तक एफ़आईआर दर्ज नहीं की जाए जबतक हाईकोर्ट जज के नेतृत्व वाले पैनल से इसके लिए सहमति नहीं ली गई हो।
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