तीन तलाक़ मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी की मुसीबत बढ़ती जा रही है। बीजेपी के सहयोगी जनता दल यूनाइटेड ने भी राज्यसभा में इस बिल को समर्थन देने से इनकार कर दिया है। बीजेपी और एनडीए के पास राज्यसभा में इस बिल को पास कराने के लायक समर्थन पहले भी नहीं था। जदयू के ताज़ा बयान से यह भी साफ़ हो गया है कि बीजेपी के साथ उसका संबंध पूरी तरह सहज नहीं है। जदयू के बिहार प्रमुख और राज्यसभा के सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने एक समाचार एजेंसी से कहा कि राज्यसभा में इस बिल पर मतदान की नौबत आई तो उनकी पार्टी सरकार का समर्थन नहीं करेगी। कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष बिल को सेलेक्ट कमिटी में भेजने की माँग पहले से ही कर रहा है। तलाक़ बिल पर रोक लगाने के लिए मुस्लिम महिला विवाह सुरक्षा बिल को राज्यसभा में जनवरी के पहले सप्ताह में पेश किया गया। इसके पहले लोक सभा ने दिसंबर को इसे पास कर दिया था।लोक सभा में बीजेपी बहुमत में है, इसलिए विपक्ष बिल को रोकने में सक्षम नहींहुआ।
तीन तलाक़ पर बीजेपी से क्यों रूठा है जदयू?
- राजनीति
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- 5 Jan, 2019
तीन तलाक़ बिल पर सत्तारूढ़ दल का विरोध ख़ुद उसके अपने सहयोगी कर रहे हैं। लेकिन वह इसे लागू करने पर आमादा है, क्योंकि वह इसके बहाने ध्रुवीकरण चाहती है।

राज्यसभा में कैसे होगा पास?
राज्य सभा में बीजेपी अल्पमत में है और एनडीए के सहयोगी दलों के साथ छोड़ने के बाद इस बिल को पास कराना असंभव लग रहा है। राज्यसभा में कुल 245 सदस्य हैं, इनमें से एक सीट अभी ख़ाली है। बिल पास कराने के लिए बीजेपी को 123 सदस्यों का समर्थन चाहिए। सदन में बीजेपी के 65 सदस्य हैं। इसके अलावा आठ नामांकित सदस्यों का समर्थन भी सरकार को मिल जाएगा।बीजेपी के साथ जदयू और शिवसेना को मिलाकर एनडीए के सदस्यों की संख्या 89 बनती है।वशिष्ठ नारायण सिंह के बयान के हिसाब से अब जदयू के छह सदस्य भी बिल पास कराने में सरकार की मदद नहींकरेंगे। ज़ाहिर है कि महज़ 83 सदस्यों की मदद से सरकार बिल पास नहीं करा सकती।